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वैधानिक चेतावनी:- मेरी कविताएं एक धीमा ज़हर ... read more
इतनी संवेदना जरूर रखना
कि जब दुनिया
गेंदे की पंखुड़ियों की सेज पर
पैर रखकर
गुलाब के सौंदर्य के
कसीदे पढ़ने में व्यस्त हो,
उस वक्त भी तुम
उन कुचले हुए गेंदे की भूमिका का
आंकलन कर सको।
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कल्पित-
जिस कवि के हृदय ने
मृत्यु के रूदन को
सृष्टि की सबसे
विकट वेदना लिखी है
संभवतः उसने कभी
प्रेम में उपेक्षा नहीं झेली होगी।
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Kalpit-
वो कहते हैं कि कल
मदर्स डे था
मैं कहता हूं "नहीं"
कल सिर्फ सबको याद दिलाने का दिन था
कि मां को आंखों पर बिठाए रखना है
कि मां की ममता नहीं भूलनी है
कि मां ने तुम्हारे लिए कितने त्याग किए हैं।
साल का जो दिन मदर्स डे नहीं होगा
शायद वो सृष्टि का आखिरी दिन होगा।
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Kalpit-
मेरी स्मृति में मैंने कोई ऐसा काम
किया ही नहीं कि जिसपे मैं सीना चौड़ा कर सकूं
हां,लेकिन मैंने तुम्हें प्रेम किया है
शायद तुमने भी मुझे।
संभव है कि मैं नरक में चला जाऊं।
यदि ऐसा हुआ तो मैं
नरक के ठेकेदारों के साथ बैठूंगा और
मूंछों पे ताव देते देते
जांघ पर जोर की थपकी मारकर शेखी बघारूंगा
कि मैंने स्वर्ग में जाए बिन ही
स्वर्ग का लुत्फ उठाया है।
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Kalpit-