उनकी आँखो को झील,गर्दन को सुराही,होठों को जाम कहे देते हैं,
लो शायरी को मोहब्बत,माशूक को खुदा,इश्क को राम कहे देते हैं ll
मेहताब को मेहबूब,आफताब को आशिक,सितारों को आवाम कहे देते हैं,
हम खुदा को यार ,यार को खुदा लीजिये सर -ए -आम कहे देते हैं ll
किसी ने शायर,किसी ने पागल,किसी ने दीवाना,कई बदनाम कहे देते हैं,
प्रेम की परिभाषा नहीं आती हमे लो हम "राधा -श्याम " कहे देते है ll
ज़ज्बातो को ज़िन्दगी,प्रेम को पूजा,इंसानियत को इबादत-ए-राम कहे देते हैं,
दया को धर्म,करूणा को कर्म,नफरतों को "गोविन्द" हराम कहे देते हैं ll
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