सहती है बेटियां कभी कुछ तो कभी कुछ करने को मजबूर हो जाती है बेटियां घर की जिम्मेदारियों को कुछ यूं निभाती है बेटियां कभी रिक्शा कभी ट्रेन चलाती तो कभी पायलट बन जाती है बेटियां बेटों से ज्यादा रिश्ते और फर्ज़ निभाती है बेटियां पर फिर भी न जाने क्यों बोझ बन जाती है बेटियां।।
ज़िन्दगी का हर पल खूबसूरत होगा जियेगे ज़िन्दगी हम भी अब शान से क्यूकी कोई भी ना अब हमारा हकदार होगा होगे अब हम अपनी ज़िन्दगी के खुद मालिक बस अब ज़िन्दगी का बसर कुछ अच्छा होगा।।
सबसे सुनहरा पल है बचपन बीते कल का सुकून है बचपन। बैर, द्वेष से कोसो दूर कोई चिंता की न थी होड़ केवल खेल-खिलोने थे भाते, दोस्तो संग खुब समय थे बिताते याद आता है जब भी वो बचपन एक प्यारी सी हंसी दे जाता है बचपन।।