लड़कों का जीवन लड़कियों के मुक़ाबिल काफ़ी संघर्ष से भरा होता है..,
हां ! उन्हें कोई "पापा का लाडला" नहीं कहता..,
उन्हें कहा जाता है "इतने बड़े हो गए हो,
अभी भी मां बाप पर बोझ बने हो"!!
फ़िर चाहे वो कितना ही आज्ञाकारी क्यों ना हो,
उस की इच्छाएं कोई मायने नहीं रखती !!
उन्हें नहीं फ़िक्र होती है सनस्क्रीन ,लिपस्टिक और कपड़ों की...
उन्हें भरने होते हैं लोन, ई एम आई, किराए, और बिल्स..
प्रेमिका उनसे हमेशा रूठी ही रहती है..,
क्योंकि उन्हें नहीं आता दिन भर की थकान के बाद
तारों भरे आसमान के नीचे बैठ मीठी बातें करना !!
लड़के भी इंसान होते है!!
बाप का अभिमान होते है!!
अगर समझो तो !!-
औरन को शीतल करैं, आपहु शीतल होय!!
Give respect take respect �... read more
हाय !! ये इश्क़ सच में कमाल करता है..,
इज़्ज़त - ए - नफ़्स को पमाल करता है ...,
जो इश्क़ करेगा ठोकर ही मुक़द्दर होगी...,
पत्थर दिल को हर कोई सलाम करता है!!
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फ़िर वही बेगैरत सा मुंह लिए लौट आए हम महफ़िल में !!
जाते कहां ठिकाना नहीं था हम बंजारों का दूसरा यहां !!
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तुम भी चुप, हम भी चुप ...,
ना बाक़ी कोई रस्म-ए-ख़त !!
ना उल्फत, ना ही नफरत ..,
ना मुंतज़िर नज़र-ए-कुर्बत !!
हर दूसरे को तक्सीम-ए-दिल..,
ना शौक हमारा ना ही आदत !!
हम तो ख़मखा ही लुट जाते ..,
रब के हाथों बची इज़्ज़त !!
तेरी जुबाँ पर इक नाम मेरा ..,
ना उम्मीद ना ऐसी क़िस्मत !!-
रिश्तों की मिठास बचाना चाहते हो तो !
सही वक़्त पर विराम चिन्ह लगा लेना !!-
दौलत और शौहरत , इश्क़ और मोहब्बत !
आरज़ू करो लेकिन ला-हासिल ही अच्छे !!
पा लिया तो ...,
सर चढ़ जाएगी या दिल तोड़ जाएगी !
क़ीमत नहीं रहती हासिल हुई चीज़ों की !!-
ए रब झुका के सर बारगाह मे तेरी कर रही बंदी दुआ...
दे एक मौका हर मोमिन को हो नसीब हज-ओ-उमरा ...,
तुझ तक पहुंचने का फ़क़त तू ही तो है एक रास्ता...
के तुझ बिन सिफर से हम दुनिया से हमें क्या वास्ता....,
उम्र दराज़ी का आलम भी है कमज़ोर होते ये आज़ा..
रह ना जाए कहीं ये फाके और इबादत यूं ही कज़ा ...
हर खल्क , हर-जुंबिश-ए कायनात की डोर तेरे हाथ है ...,
बन के अंजुमन पाएं नजात वो जिसको तेरा साथ है...,-
कभी गुस्से से बात तो कभी नजरअंदाज़गी बेहिसाब करते हो...,
इतनी भी बेरुखी है क्या कभी प्यार से बात क्यों नहीं करते हो..,-
माना के यह नाखून होते हैं बेजान ,पर कभी अनजाने में ही सही
अगर ठोकर लग जाए और उंगली से नाखून जाए उखड़
तो दे देता है जानलेवा दर्द जिस्म को....
बस कुछ रिश्ते भी ऐसे ही होते हैं , अनकहे अनजाने बेजान से
पर जब लगती है उन्हें जाने अनजाने मैं ही सही ठोकर
तो दे जाते हैं असहनीय दर्द रूह को....-
एक नूर ए मुजस्सम -- यह तेरा चेहरा ..
एक आबे हयात -- यह तेरी आंखें ..
दो जहाँ की सौगात-- यह तेरे रुखसार ..
कभी आंख मारे तो कभी दांतो तले होंठ दबाएं ...
उफ्फ !!!! साहिबा की दिलकश गुलाबी हरकतें ...,
तेरी पायल की झंकारों से कितने दिल है धडकतें..,-