Kishori Rajpoot   (_.kishorii_)
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Joined 23 September 2018


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Joined 23 September 2018
10 JUL AT 20:46

बहुत देर से जाना कि चाहतें और रिश्ते हमेशा न
हमसे कुछ कुछ न कुछ बदले में चाहते हैं

कोई चाहता है वक्त तो कोई चुप्पी चाहता है
कोई चाहता है मुस्कुराहट, कोई बेरुखी चाहता है

कोई चाहता है कि सिर्फ उन्हें ही सुना जाए
कोई चाहता है हमेशा संयम ही चुना जाए

कोई चाहता है कि हर वादे पर एतबार किया जाए
कोई चाहता है आंसू के बदले भी प्यार किया जाए

कोई चाहता है कि सिर्फ मुझे समझा जाए
कोई चाहता है कि किसी के जीवन में कम उलझा जाए

बस सोचती हूं वो कौन है जो चुप चाप घंटों
उस चुप्पी से खोले वक्त के धागों से लगी गांठों को
कौन है जो टोके नहीं रोके नहीं बस बह जाने दे
जो सब रोका हो मानो मैने करवटों में रातों को !


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27 SEP 2024 AT 23:24

एक दोस्त जो खोया था मैंने
उसकी झलक देखी थी मैंने तुझमे
यारी वो मेरे जैसी रखने
की ललक देखी थी मैंने तुझमें
फिर याद आया वो दोस्त भी तो
मेरा हाथ छोड़ के ही गया था
एक मोड़ पर मुझसे तेरी तरह
मुंह मोड़ के ही गया था
आज फिर वो पुराना दर्द उठ आया है
मेरा धैर्य आज कहां जुट पाया है !

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23 SEP 2024 AT 22:43

जिसे घर मानोगे उससे अपेक्षाएं भी रखोगे
यूहीं क्यूं तुम किसी के लिए कुछ लिखोगे !

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22 SEP 2024 AT 22:59

तालाब को यूहीं समंदर समझ रही थी मै
उसे सुलझाने में खुद उलझ रही थी मै !

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30 JUN 2024 AT 17:35

चुभा जो कांटा मेरे तो दर्द हुआ
वो कांटा मै किसी के ना ही चुभाऊं
बहुत गहरे घाव है जिनके
उन्हे अपनी चोट क्या ही दिखाऊं
वो जो टूटे हुए हैं खुद
उनके कितना मरहम लगाऊं
जोड़ने में उन्हे डर है
कहीं मै ना टूट जाऊं !

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22 MAY 2024 AT 11:20

जो ना मिला मुझे बस बही तो बांटना चाहतीं हूं मै
लोगो की खुशियों में अपना सुकून छांटना चाहती हूं मै

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20 MAY 2024 AT 9:25

मौसम के साथ जुड़ा हो जैसे मन
बारिश से ठीक हो जाता है
मानो जो इकट्ठा हो गया हो सदियों से
दो पल में सब धुल जाता है !

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19 MAY 2024 AT 23:35

लिखते लिखते जो बीता रात का अंधेरा
ना जाने कब सवेरा हो गया
कुछ खास नही था राबता मेरा उससे
जिस शक्श का आंखों में बसेरा हो गया !

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18 MAY 2024 AT 15:44

कि टूटता नही अब वो शक्श या
टूटकर दिखाता नही है
किस्से तोह हैं आज भी कई
पर अब वो किसी को सुनाता नही है !

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18 MAY 2024 AT 15:41

मैने खुदको वहां तक बांटा जहां तक नजरों
में बड़ी गहरी सी ललक थी जानने की
जैसे ही ओझल हुई नज़रे मैने किस्से बदल दिए!

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