212 212 212 212
उसकी आँखों में मैंने कहर देखा है
जो न सोचा कभी वो असर देखा है
आस मिलने की दिल में मचलती बहुत
जब जिधर होती आहट उधर देखा है
भूल से जब उधर वो ले अँगड़ाईयाँ
हाल बेहाल अपना इधर देखा है
बिन पिये ही मुझे तो नशा हो गया
उसने मुझको जो तिरछी नज़र देखा है
फूल दिल में खुशी के तो खिल जाते है
मुस्कुराकर जब उसने जिधर देखा है
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