सुनो न,
इस वेलेंटाइन गुलाब की जगह अगर अपने खेत की सरसों के पीले पीले फुल से तेरा श्रृंगार करूँ तो तुम मेरी होकर बाँहों में दौड़ आओगी न..?? 🧡-
ऐ सुनो ,
तुम्हें मालूम भी है कि मैं तुम पर ही गुस्सा क्यों होता हूँ,
नहीं न..??
मैं चाहता हूँ तुम वापस मेरे पास उसी रूप में आओ, जैसा मैंने तुम्हें पहली दफा देखा था!! 🧡-
अब छोड़ो भी यार इन आईनों की आदतें,
क्यूँ मोर की तरह अपने पैरों को देख उदास होना!!-
ऐ सुनो न,
अगली बार जब छठ में तुम आना तो कुछ करो या ना करो,
मेरी माँ जब छठ घाट से आए तो उसके पैरों को अपने मुलायम हाथों से बस थोड़ी देर सहला देना!!❤-
जानते हो,
जब कोई कहानी पढ रहा होता हूँ मैं,
जाने क्यों खुद को उसका पात्र समझ लेता हूं मैं??-
गर जो पुछना हो तो हमारे तकिये से आकर पुछो,
हमने कब कब अपने आंसु बेहिसाब बहाएँ हैं।-
जानते हो,
वो चाय थी नशे की तरह घुर रही थी मुझको !!
फिर मैने उससे पूछा ,
सिर्फ देखती रहोगी या आओगी भी मेरे लबों पर..?💜-
सुनो न,
मैं खुबसूरत से इस अखण्ड हिन्द का एक ठेठ हिंदी भाषी लड़का हूँ,
मुझे तुम्हारे माथे पर सज कर इतराने वाली उस बिंदी की कीमत अदा करने दोगी क्या ??❤-
ये अकेलेपन का कारवाँ आगे बढ नहीं रहा यारों,
बस कुछ ऐसा हो की मौत जल्दी नसीब हो !!-
मैने छोड़ दिया जाना इन आलीशान होटलों में,
यहाँ जेब देखी जाती है तुम्हारी भुख नहीं यारों !!-