Kirti Sirohi   (Kirti Sirohi✍️🏻✍️🏻)
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Joined 18 May 2020


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Joined 18 May 2020
9 SEP 2023 AT 11:57

मैंने कुछ जख्मों को, नाज़ों से पाला,, पाल पोसकर उन्हें, अपनी मुस्कान बना डाला,
मैंने कुछ ख्वाबों को अपने शौक से मारा,, मारकर उन्हें, अपनी परवाज़ बना डाला,
मुझसे छीना बहुत कुछ गया,, साँसों को भी मुझपर अफसोस हुआ
पर मैंने भी रूह को अपनी तोड़ा, झकझोरा,,,और एक दोमुंहा लिबाज़ बना डाला...
ये लिबाज़,,, मेरे कई चेहरों को अपने में छुपाये रखता है...
ये मुझसे हर रोज़ लड़ता है...ये लिबाज़ मुझसे पूछता है,,
तू मुस्कुराती है ये तो दुनिया जानती है,,,,पर वो रातें, ,,, जिनमें अक्सर तू खुदको ज़ख्मों के हवाले करती है,,
उसके हिसाब की बारी कब आएगी!? ..
ये पूछता है,,, तू बेबाक है दुनिया का कहना है, पर अक्सर जब तेरे कदम लड़खड़ाते हैं,, तू गिरकर खुद उठती है,,, अकेले अक्सर कितनी जंग लड़ती है,,
जब तेरी आंखें थककर ख़ुश्क हो जाती हैं,,, तू यूं घंटों या कई दिनों तक मौन हो जाती है,,
जब दुनिया तेरा, तेरे आँसूओं का मज़ाक उड़ाती है,,, तू कैसे ये सब बर्दाश्त कर जाती है!?
तब मैं उस लिबाज़ को फटकार कर चुप करा देती हूँ,,
समझाकर कहती हूँ उससे,,,,तुझे इतना तोड़कर मैंने खुद ओढ़ा,,, ताकि तू मेरी बेबसी खुद में समेंटे,
तो इसका गुणगान करना बन्द कर,,
तब ये लिबाज़ खामोश होकर,,, मुझे कसकर गले लगाता है और मुझे भिगा देता है, अपने आंसूओं में....
🌻✨💌💛🐭🐭

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26 JAN 2022 AT 0:24

वीर रस का करके श्रृंगार लहू से यूँ गाते रहेंगे
जब तक है जान तिरंगा यूँ ही लहराते रहेंगे,

शान माटी की मिटे न कभी
चाहें जान जिस्म में रहे न रहे,
जब तक है रगों में उबाल,
वीर लिपटकर कफन तिरंगे में
शान से यूँ ही आते रहेंगे
🙏🏻🇮🇳✨❤️
कीर्तिमान_कलम✍🏻💖

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26 MAY 2021 AT 18:07

पहले ही हाथ थामकर
ठोकर मारी हैं यहां अपनों ने मुझे,
मैंने हाथ मिलाकर मौत से भी देखा है
अब मैं मरने में नहीं ...भगत..
आगे बढ़ने में भरोसा करती हूँ,
....जिसे कोशिश करनी हैं.......
.......अब पूरी शिद्दत से कर...
..मैं अब टूटकर बिखरने में नहीं...
फिर उठकर चलने में भरोसा करती हूँ।


अंधेरों_की_रौशनी💛

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15 JAN 2022 AT 16:46

माँ भारती के आँचल में
कितने वीर पलते हैं,
कितने करते हैं सेवा इसकी
कितने तिरंगे में लिपटते हैं,
कुछ बूढ़ी आंखों को राह तकने छोड़ आये
कुछ खनकती चूड़ियों की आवाज़ें लेकर हैं आये,,
कुछ की कलाई सूनी हैं
क्योंकि राखी नहीं बंधाई है,
कुछ करके वादा वापस आने का
घर लौट कर कभी फिर नहीं आये,
वीर जो कुर्बान देश पर अपने
जो खड़े रहते अटल, पथ पर अपने,
नमन उन्हें, है नमन उन्हें
जो हैं जान-ऐ-वतन, है नमन उन्हें
🇮🇳✨❤️
#कीर्ति_ऐ_हिंदुस्तान

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11 JAN 2022 AT 19:46

जो लगे रोग इश्क़ का
रांझा भगत सिंह वरगा हो,
तमन्ना मरने की भी है
बस जिस्म पर कफन तिरंगा हो
🇮🇳🇮🇳
#कीर्ति_ऐ_हिन्द

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11 JAN 2022 AT 17:25

इंसानियत वहाँ दम तोड़ देती है
जहां किसी एक इंसान की मजबूरी
किसी दूसरे के लिए तमाशा बन जाती है..

मगर भूलना नहीं चाहिए
जहाँ आज तमाशा बनने वाला है
वहाँ कल तमाशा बनाने वाला भी जरूर होगा।

वक़्त का पहियाँ है घूमना अवश्य है।
जय शिव शम्भू🙏🏻🙏🏻

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4 JAN 2022 AT 1:47

हसरतें तमाम थीं, सपने भी कम न थे
खुशियां बेहिसाब पर ग़म भी कम न थे,
थी तलब सिर्फ उनके साथ हर पल रहने की
पर तक़दीर में बेहिसाब तकरार बढ़ गईं,
आंधी ने बदला खुद को तूफान में
मानो ज़िंदगी की सारी खुशियां छिन गयीं,
कहर ढाया समय ने, एक पल में सारा समां बदल गया
उनसे कहने को था कितना कुछ जो अनकहा रह गया.. .....

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25 DEC 2021 AT 23:35

दिल की बात ज़ुबाँ पर आ ही जाती हैं
ज़लज़ला जहन में जब उफान भरता है,
दूर कहीं अनजान शहर में गुमनाम हो जाएं
अक्सर दिल भी कमबख्त ये दुआ करता है,
ये जमाना क्या है, दर्द का सैलाब ही तो है
किसको परवाह किसकी है आखिर यहाँ,
अपनों का क्या है, कौन जीने की वजह है
इंसान किसी अपने के हाथों रोज यहां मरता है।

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25 DEC 2021 AT 23:27

शोर करता है मन
खामोश ज़ुबाँ रहती है,
चिल्लाऊं जोर से बिना आस पास देखे
दिल की भी ये दुआ रहती है,
रिश्तों का मुझे तभी ख्याल आता है
ज़मानें की फिक्र न चाहते हुए भी करती हूं
इस करके मेरा हर ख्वाब टूट जाता है
न चिल्ला सकूँ न कह सकूँ किसी से
क्या दिल में मेरे आखिर चल रहा है
ज़ज्बात सम्भाले नही जाते हैं जब मुझसे
तब कलम सहारा और कागज़ मेरा ख़ुदा बन जाता है।

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25 DEC 2021 AT 23:10

अब इसमें नफरतों का शोर है
यहाँ न प्यार है किसी भी दिल में
इंसानी रूप में जानवर बसा हर ओर है
न किसी के होने की खुशी न पाने की चाह रही
दिल प्यार से हो गया है खाली यूँ
कोई आये या जाए अब न इसे परवाह रही।

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