आज यादों की तुम्हारे साथ बैठे हैं
यूं लगा बिल्कुल तुम्हारे पास बैठे हैं
आज जितनी दूर मुझसे जा चुके हो तुम
हम तुम्हारे साथ उतने पास बैठे हैं-
तुमसे बिछड़ते वक्त मेरे आंखों से आंसू नहीं गिरे
मेरे हृदय तक पहुंच कर
उन आँसुओ ने कविताओं का रूप ले लिया-
मेरे हृदय में जो स्थान तुम्हारे लिए रिक्त है
उसे मैं सिर्फ कविताओं से भरना चाहती हूँ-
वह शाम कुछ अजीब थी
एक आवाज आई थी मेरे कानों तक
जो मेरे दिल के करीब थी
मधुर संगीत सा सुनाई पड़ा
फिर वो कहीं खो गया
भ्रम था मेरा शायद
ना जाने कहाँ खो गया-
'प्रेम में सफलता' से पर्याय है उदासी के लिए स्थान ना बचना....
अनुशीर्षक-
जीवन में सफलता प्राप्त होने पर
याद आता है वो सारा संघर्ष जो
सफलता की सीढ़ियों पर
चढ़ने के लिए किया था
मगर जब प्रेम सफल होता है तो
स्मरण रहती हैं केवल कुछ मधुर स्मृतियाँ-
जैसे प्यास लगने पर प्यासा चुनता है जल को
अमृत को नहीं
ऐसे ही प्रेम चुनता है प्रेम को
किसी अन्य सुख को नहीं-
कल्पनाओं से परे हो तुम
किस मिट्टी के बने हो तुम
मैं जो चाहूँ भी कि
सिर्फ तुम्हारी यादों को साथ ले चलूँ
यूँ लगता है प्रत्यक्ष खड़े हो तुम
मुश्किल होता है तुमसे तुम्हारी यादों से
दूर रहना
तुम्हें याद इतना कर लेती हूँ
कि भूल जाती हूँ कि तुम्हे जरूरी है भुलाना
क्या रिश्ता है मेरा तुमसे, कुछ भी तो नहीं
फिर मैं क्यों नहीं चाहती तुमसे दूर हो जाना
अजीब बात है कोई किस्सा नहीं कोई कहानी नहीं
हमारी मुलाकात की कोई खास निशानी नहीं
फिर इस उलझन से निकलने में भी आसानी नहीं
क्या बात है परेशान हूँ मैं फिर भी मुझे कोई परेशानी नहीं-