बातों का सिलसिला चलता रहे तो अच्छा है। यादों का सिलसिला चलता रहे तो अच्छा है। यूं हकीकत में तो मुलाकातें होती नहीं है, ख्वाबों में ही मुलाकातें होती रहे तो अच्छा है।
कुछ यूं बदलें हैं हम, तुम और मैं बन गए हैं।। कुछ यूं दूर हुए तुम और मैं, फासले बढ़ गए हैं।। चल तो रहे तुम भी और मैं भी, रास्ते बदल गए हैं।। कुछ जानते हो तुम भी, कुछ पहचानता हूं मैं भी। सब समझते हुए भी अब हम अजनबी बन गए हैं।। कुछ यूं बदले हैं हम, तुम और मैं बन गए हैं।।