चाय पीने का वास्तविक आनंद लेने के लिए,इसकी मीठी सुगंध में खो जाने के लिए,इसका वास्तविक स्वाद चखने के लिए तथा कप की गर्माहट महसूस करने के लिए हमारा 'इस' पल में होना बहुत जरूरी है;वर्तमान के प्रति पूरी तरह सजग और होशपूर्ण..यदि हम गुज़रे कल की घटनाओं में अटके होंगे या आने वाले कल की चिन्ताओं में उलझे होंगे..तो होगा यह की जब हम गर्दन झुकाकर कप की ओर देखेंगे तो पाएंगे कि चाय ख़त्म हो चुकी है..हमने पी ली,पर हमे याद नहीं क्योंकि हम वर्तमान के प्रति ,चाय पीने के प्रति सजग नहीं थे...."जिंदगी भी चाय के उस कप की तरह ही है..."
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