यूं ही एक उम्र तलाश रहा था,
कि मेरी दर्द-भरी ज़िंदगी में कोई बहार लाए!!
जिसे देखूं तो दिल खिल उठे,
रातों की बेचैनी भी सुकून बन जाए!!
नींद तो अब भी नाराज़ है मुझसे,
पर उसके नाम से होठों पर मुस्कान आए,
तो लगे जैसे सुबह का वो पहला उजाला बन जाए!!
उसे देखने की दुआ करता हूं उस आसमान से,
और जब उसकी नज़र मेरी नज़र से टकराए,
तो दिल को वो सुकून मिल जाए जो बरसों से नसीब न हुआ!!
काश, कोई ऐसा हो,
जिसे चाहूं, और वो भी मुझे वैसे ही चाहे!!
तो लगे जैसे मेरी हर अधूरी खुशी,
उसी के नाम मुकम्मल हो जाए!!
बस…
एक उम्र तलाश रहा था,
आप जैसे चेहरे से...मिलने की!!-
तुम न होते तो ज़िंदगी हराम होती।
तुम न होते तो सिगरेट की हरेक कश जिंदगी को खराब करती।
जिस ज़िंदगी ने मुझे जिंदगी दी उन की जिंदगी बरबाद होती।
तुम न होते तो हरेक रिश्तों से शिकायत होती।
तुम न होते तो हर गम से दोस्ती होती।
तुम न होते तो हर उम्र मौत से बात होती।
तुम न होते तो जिंदगी सचमुच हराम होती,
अगर, तुम न होते...तो..!!-
आसानी से मिल जाए उसे "इश्क" नही कहते।
थोड़े से "आसूं" अगर आंखों से न गिरे उसे "गम" नही कहते।
उसे पाने की चाह में, कुरबाने - ए - जिंदगी हो जाती है।
यादों में बसे उस "चेहरे" को भुलाने में "शराब से दोस्ती" बन जाती है।
-
"वो सिंदूर मुझे दर्द देता हे ,
जब पडता हे गाल पर थप्पड़..."
(Read the full poetry in caption)-
मैंने शेरे-ए-शायरियां
अल्फाजों का बगिया बनाया है... तेरे लिए!!!
तुम आओ तो...मेरे आंगन में
जरा... ठहर के देखना...!!
मैने इश्क़ का वो लाल गुलाब भी...
उगाया है... मैंने तेरे लिए!!
****-
में जब लिखता हूं,
तो सवाल मन्न में उठता है।
जज्बातों का शोर मचता है।
यादों का भवर उमड़ता है।
तकलीफों का सागर बेहता है।
अकेलेपन में एक तूफ़ान उठता है।
कहना चाहे मेरी कलम इन हाथो से,
कागज के पन्नों पर दर्द मेरा नाम होता है।-
"...उस लड़की के अंदाज़,
कुछ ऐसे दिल पे लगे...
जैसे कोई आशिक,
हमारी दिलनशी शायरी सुनके
हमारे दोस्त बने"-
...तो कहानी कुछ यूं थी,की
वो गुज़र गए हमारी नजदीक से...
आंख भी,
जरा सी चौक सी गई
... पता उसे भी था ओर पता, मुझे भी था
पर क्या करे...
वो किसी के हाथो में हाथ लिए थे...
ओर मै...
मै भी अपने दूसरे इश्क़ के साथ था...
गर... अकेले मिले होते...तो...
दो बातें जरूर होती...
गर... अकेले...मिले होते...तो...-