Kiranjit Kaur   (Kiranjit Kaur)
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Joined 5 September 2021


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3 JUL AT 23:42

एक पत्ता हूं
उस डाली का,
हर तूफ़ान से लड़ी जो!
धूप-छाँव सब सही जो!
वो समय समय झुकती रही!
वो कोहरे झेल भी डटी रही!
झेल कड़क उस लू की लाली!
रिमझिम में जो है लहराती!
मूसलाधार भी उसने संभाली!
न वो टूटी,
न वो बिखरी,
हर दिन वो बनी रही निराली!
हर फूल-पत्ते को उसने सींचा,
मातृत्व की भूमिका निभाली !
मैं पत्ता हूं उस डाली का,
जो वनरानी हिम्मत वाली !

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12 APR AT 12:50

ਬਦਲੇ ਪਾਣੀਆਂ ਦੇ ਰੰਗ,
ਹਰ ਲਹਿਰ ਦੱਸਦੀ!
ਬਦਲੇ ਹਵਾਵਾਂ ਨੇ ਰੁਖ,
ਹਰ ਪੌਣ ਦੱਸਦੀ!
ਮੌਸਮ ਵੀ ਹੁਣ ਪਹਿਲਾਂ ਵਾਂਗ ਬਦਲਣ ਨਾ ,
ਧੁੱਪ-ਛਾਂ ਦੱਸਦੀ!
ਨਿੱਘ ਵਾਲੀਆਂ ਰੁੱਤਾਂ,
ਅੱਜ ਤਪਸ਼ ਬਣ ਗਈਆਂ!
ਜੋ ਸੀ ਠਾਰ ਪਾਉਂਦੀਆਂ,
ਉਹ ਜ਼ਖ਼ਮ ਬਣ ਗਈਆਂ!
ਹੁਣ ਬਰਸਾਤਾਂ ਵੀ ਕਿੱਥੇ ਬਹਾਰ ਲਿਆਉਣ,
ਇਹ ਚੰਦਰੀਆਂ ਖੌਰੇ ਕਿਹੜੇ ਰੋੜ ਪਾਉਣ ਲੱਗ ਪਈਆਂ!

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11 APR AT 23:40

पहरा

किस्सों पर किसका पहरा है?
वादों का!

मुकाम पर किसका पहरा है?
इरादों का!

ख़्वाबों पर किसका पहरा है?
यादों का!

बहारों पर किसका पहरा है?
बरसातों का!

इश्क़ पर किसका पहरा है?
इबादत का!

...उन यादों पर,
...उन वादों पर,
मुक्कमल जो होना चाहे
उन फरियादों पर,
पहरा हो बस उसकी करामातों का!

-किरनजीत कौर — % &— % &

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16 FEB AT 22:24

पल पल का किस्सा,
वो किस्सा जिसमें
गुमनाम हर हिस्सा!
हर पहलू जिसका,
है एक अनकही कहानी!
कुछ ख्वाबों का बुना,
कुछ रूहदारी का निश्चा!
उल्टा सीधा हर पल गुज़रे,
अपने अजनबियों के शहर में,
जो मुझे मुझसे मिला दे,
नजाने है कौन फ़रिश्ता!

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15 FEB AT 12:19

एक एहसास था
कि तुम्हें देखते नज़रें चमक उठती थी
तेरे इंतज़ार ने
जिन्हें ख़ामोश कर दिया।

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10 FEB AT 20:03

अधूरे इस चाँद की तरह
कुछ बातें अधूरी हैं
कुछ वादे अधूरे हैं
मुलाकातें अधूरी हैं

मुक्कमल जो होना चाहे
वो इश्क़ अधूरा है
सपने अधूरे रह गए
क्योंकि रातें अधूरी हैं

एक दर्द है तन्हाई में
सब महफिलें भी अधूरी हैं
तेरे ओझल होने से
मेरी कायनात अधूरी है

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22 JAN AT 16:17





नजरें जब खामियों पर गढ़ा रखीं हों,
तब खूबियाँ सामने हो भी परे हो जाती हैं।
-किरनजीत कौर








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19 JAN AT 10:37

memories.

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18 JAN AT 13:36




हम तो रूह-दारीयां निभाना जानते हैं,
रिश्तेदारीयों वाले गिले शिकवे हमें आते नहीं।
- किरनजीत कौर












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24 NOV 2024 AT 17:41

ਅਸੀਂ ਕਿਨ੍ਹਾਂ ਵੀ ਰੁਕਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰ ਲਈਏ
ਸਮੇਂ ਦੇ ਵਹਿਣ ਅੱਗੇ ਸਾਡੀ ਇੱਕ ਨਹੀਂ ਚੱਲਦੀ।

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