सजग, सफल, सक्षम व हितकारी हो
गर्व करो खुद पर तुम नारी हो
हर साँचे में ढल जाती हो
कभी मोम सी पिघल जाती हो
तो कभी दिये सी जल जाती हो
करुणा का सागर, ईश्वर की प्यारी हो
गर्व करो खुद पर तुम नारी हो
है कौशल तुममें विष को पीयूष बनाने का
तुम तो एक नज़रिया हो जीवन को समझाने का
हो आधार जगत का, न बोध करो बेचारी हो
गर्व करो खुद पर तुम नारी हो
निमित्त हो पोषक हो इस सृष्टि की सृजनकर्ता
अबोध है गूढ़ है जो तेरा मूल्य नहीं समझता
अहंकारी अभिमानी और अत्याचारी है
खुद पर गर्व करो तुम नारी हो
हक है तुम्हें भी जीने का, अरमान कहीं न मुरझा जाए
देवी न सही कम से कम इंसान तुम्हे समझा जाए
तेरे प्रेम स्नेह ममता के तो परमपिता भी आभारी हैँ
खुद पर गर्व करो तुम नारी हो
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