kiran suryawanshi  
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Joined 11 November 2017


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Joined 11 November 2017
6 DEC 2020 AT 23:50

उदासी की हद होनी चाहिए
तन्हाई शाम तलक होनी चाहिए.

रोशनी सुबह की मुस्कान लाए
रात ऐसी खुबसूरत होनी चाहिए.

जिंदगी मगर फिर भी बेशुमार
हादसों से भरी होनी चाहिए.

वो करेगी याद, याद आनेपर
दोस्ती की बात होनी चाहिए.

दोस्त बदलेंगे,बदलेगा सबकुछ
फायदों की बात होनी चाहिए.

खुशी अपनी जगह नाराजगी अपनी
मिलने को वजह होनी चाहिए.

हिसाब अगर इमानदारी का हो
हिसाबी इमानदार होनी चाहिए.

जिंदगी गुजरी कितनी शामें उदास
कदर कुछ जज्बात होनी चाहिए.

उसकी मुस्कुराहटें देख अच्छा लगा
जिंदगी आगे बढ़तीं होनी चाहिए.

हर बात हर कोई ना-समझे
हर बात शायरी होनी चाहिए.

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30 NOV 2020 AT 22:45

तन्हाई में खुद को संभालना मुश्किल है
कुछ ना हो सही, सही केहना मुश्किल है.

बातें करने को ही कोई न हो अगर
दिल की बात की रिहाई करना मुश्किल है.

बैचेन सुबह, उदास दोपहर, नाराज शाम
इस तरह एक-एक दिन गुजारना मुश्किल है.

प्यार में जैसे रातदिन पुरे होश में रेहना मुश्किल है
मोहब्बत बने किसीसे राबता अपना,अपना मुश्किल है

दिल टुटा इंसान जैसे रोता है बच्चे की तरह
बोल ना पाये बच्चा तो बात समझना मुश्किल है.

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29 NOV 2020 AT 1:36

शोर-शराबे से भरी झिल लगती है
मुझे जिंदगी शहर की नु-खीली किल लगती है

किसी के साथ होने से भी अगर नही मिलता सुकून
है चोट किसी से मिली अंदरूनी लगती है

वो दिन गए सिर्फ दोस्तों से दिन गुजारने के
इत्तेफ़ाक़न किसीसे मिलना खुशकिस्मती अपनी लगती है.

अनिश्चितता भी जिंदगी की उदास ज्यादा करती है
उदासी कुदरती जैसे उसमें बनी बुनी लगती है.

बच्चों के पेट भर खाने से मां के चेहरे की खुशी
मुझे मानों जमीं पर जन्नत-ओ-प्यार निशानी लगती है.

खुबसूरत शाम, जिंदगी की बातें, फ़र्द-ए-तन्हाई
मुझे समझने में चीज़ें इतनी लगती है.

वजह जिनके में देख पाया खुबसुरती जहान की
दिखाऊँ उनको जहान और हसरत उतनी लगती है.

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22 NOV 2020 AT 23:23

तुझसे मिलने को फिर दिल करता है
कराये जिसने हादसे , दिल गलत करता है.

मैंने संभाला है तुझे जरा आसानी से धड़क
धड़कने करता है तेज चेहरा-ए-हुस्न देख, दिल गलत करता है.

दिन निकल जाता है दिन के कामकाजों में
तन्हाई और जर्द-शाम तुझे याद करता है, दिल गलत करता है.

वजह-ए-उदासी जिंदगी की किसी को बयां नहीं करता
ठिकाना वही पुराना ढुंढता है, दिल गलत करता है.

रात घनी अंधेरी,गली में सिर्फ चांद की रौशनी जिस तरह से
अकेले में इस तरह याद करता है, दिल गलत करता है.

जिंदगी भी कितने पहलुओं की, तंग करती है हकीकत में
परेशानीयों से बचने की उम्मीद करता है, दिल गलत करता है.

हजारों बातें खुशी की,नाराज़गी ले सफर करता है
दिल गलत करता है,दिल गलत करता है.

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14 NOV 2020 AT 9:20

खुशीयां खरीदने लगे हम दुकानों में
शायद युहीं गले मिलते हैं हम त्यौहारों में.

इक बात मेरी समझ में नहीं आती
बेचकर भी सबकुछ बैचैनी कैसी दुकान-दारों में.

वो दिन गए की त्योहार महसूस हुआ करते थे
बस दिखावे की हुई रौनकें गलियारों में.

दिपावली मुबारक तुम्हें, घर-आंगन खुश-हाल रहे तुम्हारा
दुआ उनके लिए खुशी की, जिंदगी गुजर रही जिनकी अँधियारे में.

महक कपडों की, जायका खानों का, उजाला दियों का
रखकर दिलों में मोहब्बत, बांटो खुशीयां दोस्त-यारों में.

मजहब बाटें आपस में तो आसमान जोड़ रखता है आपस में
आसमान किस मजहब का, हर त्योहारों की रौनकें आसमानों में.

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13 SEP 2020 AT 23:05

ऐसा नहीं पहली बार क्या गलत हुआ
दिल दुखाया फिर किसी ने क्या गलत हुआ.

मैंने दिया अपना पुरा वक्त और दिल जिसको
उसी ने दिया किसी गैर को क्या गलत हुआ.

थक गया होगा अनजान मोड पर रुक-रुक कर
इक दरया मिला सागर से क्या गलत हुआ.

पुरा ना कर सके ऐसा वादा भी ना करे
किया वादे मुताबिक इंतेजार क्या गलत हुआ.

वो करते हैं याद अपने मर्जी से मुझको
अगर भुल गये मर्जी से क्या गलत हुआ.

मानता हूँ नहीं सदा के लिए मगर बुरा लगा
सुबह खिला फुल गिरा शाम को क्या गलत हुआ.

खुदी से शिकायतें, खुदि की उदासी, खुद की तन्हाईयाँ
रोया याद करके गलतीयां खुद की क्या गलत हुआ.

बढी गलतफहमियाँ बात समझाने से और भी
अगर हुआ चुप हर बात पे मैं क्या गलत हुआ.

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4 SEP 2020 AT 22:43

दोस्तों से दोस्ती रख्खो उम्मीद नहीं
फिर-मत केहना किसीसे कोई उम्मीद नहीं.

मैंने देखीं है बाजुएँ दोनों गद्दारी और वफादारी की
या शायद मुझे ही दोस्ती निभाने की तरकीब नहीं.

बे-शक की जाए दोस्ती किसीसे तो बे-शर्त की जाए
किसी ना-निभाई बात पर नाराज होना वाजिब नहीं.

सुबह से सोहबत-ए-यार , ता-शाम हुआ करतीं थीं
अब सोहबत-ए-गाह नहीं, सोहबत-ए-राफ्ता नहीं, उस तरफ जानिब नहीं.

उजाले दोस्ती के कम क्या हुऐ, तन्हाईयाँ जैसे हम-सफर बन गयीं
तन्हाईयाँ हटा जाऐगा अब ऐसा कोई खुर्शीद नहीं.

नये रास्ते जिंदगी के मिलाते है नयी जिंदगीयो से कई
मैं तराश कर रखता हूँ कदम कई, ऐसा नहीं किसी चीज से वाकिफ नहीं.

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11 AUG 2020 AT 19:03

दर्द- दुख से गुजर कर रुह को किसी मिली है राहत
गुजरकर भी जिंदा रहता है शायर जुबान पर यहीं है राहत.

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10 AUG 2020 AT 13:22

अपने दिल से मुझे उतार क्यु नहीं देते
नहीं चाहने वाले मुझे तो मार क्यु नहीं देते.

मैं इक कश्ती में चारों ओर तन्हाईयों का समंदर मेरे
आप दोस्ती का मुझे पतवार क्यु नहीं देते.

कदम-दर-कदम जिंदगी रखतीं है नये सवाल मुझे
समझ-बुझ वाले बिना सवाल रिश्तेदार क्यु नहीं देते.

मौसम उदासी,तन्हाईयों का हमेशा के लिए तो नहीं
आपने दिये हैं मुझे यार, गम-ख्वार क्यु नहीं देते.

समझदारी गम-ए-जिंदगी के तरफ ले आयीं मुझे
अज्म-ए-जिंदगी पर मुझे सवार क्यु नहीं देते.

दिल की बैचेनी बढी जाती है वक्त-वक्त पे या-रब
मैंने खायी है दवाईयां बोहोत कोई दवा असर-दार क्यु नहीं देते.

जिंदगी की हर-इक बात लिखी जाती नहीं ग़ालिब की तरह मुझसे
न-लिखी बात पढ़े सोहबत कोई समझ-दार क्यु नहीं देते.

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16 JUL 2020 AT 0:21

सरलेल्या क्षणांणा पुन्हा सांग
बंद जगात जगावे कसे,
मनाने बांधलेले नाते मैत्रीचे
बंद जगात लपवावे कसे.

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