याद है मुझे अभी वो दिन जब तूने मुझे अपना कहकर बुलाया था। तूने सिर्फ मुझे नहीं मेरे दिल को भी रुलाया था। टूटा था संग में हर वह सपना जो तूने मुझे कभी दिखाया था। खत्म कर दिया खुद वो सपना वो प्यार जो तूने मेरे दिल में बसाया था। याद है मुझे वो दिन जब मेरे सामने तूने किसी और को अपनाया था। रोई थी खूब ये आंखें उसी रात जब वो नजारा इन आंखों को दिखाया था। वो तेरा प्यार था या धोखा जो तूने मुझे कुछ ना बताया था।
ना मंजिल का पता ना जीने का कोई सहारा। बेखबर से हम कर लिया दुनियां से किनारा। ना कोई अपना, ना किसी का कोई सहारा। बिछड़े मां क्या तुमसे, अब नही रहा कोई हमारा।
सरेआम जिंदगी से धोखा खा लेना इत्तेफाक तो नहीं होता। यूं हर रिश्तो का मुंह मोड़ लेना अस्बाब तो नहीं होता। शायद जिंदगी को कुछ खास ही देना था। वरना यू तेरा मुझसे मिलना इल्तिफ़ात तो ना होता।