मैं बस बोझ उतारना चाहती हूं
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पुष्प खिल रहे है,
इसका मतलब
अब भी
प्रेम की उम्मीद
की जा सकती है,
इस धरा पर।
(Additional
in captions...
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ज़िंदगी हर बार वैसी नहीं होती जैसी हमने ख्वाबों में बुनी थी।
कुछ सपने टूट जाते हैं, कुछ रास्ते बीच में ही बदल जाते हैं।
तो चलो, थोड़ी देर रुकें —
उन अधूरे ख्वाबों के लिए आँखें नम करें,
उन अधूरे सफ़रों का मातम मनाएं।
क्योंकि शोक भी मोहब्बत की ही एक शक्ल है।
और फिर...
जब दिल थोड़ा हल्का लगे,
तो देखना —
वक़्त की हथेलियों पर कुछ नया रखा है शायद।
जो आया है, वो भी कोई तोहफ़ा हो सकता है।
बस, उसे अपनाने के लिए दिल में थोड़ा सा खालीपन चाहिए।
(More in captions...-
नम आंखों से हंसकर टाल देना,
किसी का हाल,
फिर कैसे जताता है प्रेम?
(पूरी नज्म कैप्शन में....-
तेरी हर मुस्कान में अब फरेब सा लगता है,
तेरा नाम सुनकर अब दिल नहीं धड़कता है।
ख़ाली लिफ़ाफ़ों में अब उम्मीद नहीं रखते,
जो लिखा ना गया कभी, उसे क़िस्सा नहीं कहते।-
तुम्हारी वफ़ा की खुशबू तो अब भी महसूस होती है,
पर हर फूल की किस्मत में शाख़ नहीं होती।
तुम मुरझा गए हम पर, ये इल्ज़ाम भी सही,
पर क्या कभी पूछा, हम कौन-सी रुत में थे,
और कितने बेज़ार थे वहीं?
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