Kiran Sharma  
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Joined 21 November 2019


Joined 21 November 2019
12 SEP AT 22:49

बड़ी हसरत है उस शख्स से मिलने की
ज़माना जिसे बताता है के ये मैं हूँ
वो जो बताता है मुझे उसे सुन कर तो
होती हूँ बड़ी परेशां के ये मैं हूँ

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7 SEP AT 14:00

गत वर्षों की भांति इस बार भी
तुम्हारा क्षमा मैसेज आया है....
ना होली, ना दीवाली,
ना अन्य कोई तीज-त्योहार
बस इस दिन ही
तुम्हारा मैसेज देख
हो जाती हूँ आश्वस्त कि
मानती हो तुम.. कि तुमने
मेरा हृदय बहुत है दुखाया...
गत वर्षों की भांति, इस बार भी
तुम्हारा क्षमा मैसेज आया है...



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30 AUG AT 15:53

दो विपरीत और टूटे सिरों को
जोड़ने वाले गांठ कहलाते हैं....
देखिए विडंबना, जोड़े रखने का
तनाव, खिंचाव झेलने के बाद भी
अक्सर लोगों की आँखों को चुभ जाते हैं
दो विपरीत और टूटे सिरों को
जोड़ने वाले गांठ कहलाते हैं....

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31 JUL AT 14:46

सुनो,
दुःख जितना तुम्हें होता है
दुःख उतना मुझे भी सताता है
पर....
पीड़ा नापने, मापने...
तौलने, बोलने....
दिखाने, बताने का
कोई मानक नहीं है....
नहीं, तो बता पाती
दुःख सबके
उतने ही सच्चे हैं
जितने तुम्हारे अपने.....

किरण शर्मा



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28 JUL AT 20:56

ससुराल जाती बेटियों को
माँओं ने कहा अक्सर....
"सबका ख़्याल रखना"
बेटियां भूल गईं अक्सर
कि सब में, वे भी आती हैं....

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20 JUL AT 0:03

सुनो, बाक़ी सब तो,
फिर भी ठीक है,
बस तुम ये,
कानों से देखना बंद कर दो ना....

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10 JUL AT 23:10

कुछ तिलिस्म टूटे
कुछ भरम फूटे
कुछ हाथ छूटे
कुछ साथ रुठे
कुछ यक़ीन आँसुओं में बह गए
कुछ घरौंदे, तेज़ हवा से ढह गए
अँधेरों में और कितना ख़ुद को भटकाएं
हाथों में बाक़ी जो पल हैं रह गए
आओ,उनकी ख़ातिर एक शम्मा जलाएं

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8 JUL AT 23:16

ख़ुद को बूझा नहीं..... उम्र भर
और दावा के जान गए दुनिया भर

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22 JUN AT 21:56

बची हुई भी बिता लेते
जिस भरम में उम्र तमाम बिता दी
बुरा हो तेरा, बुरे वक़्त
क्यूँ अपनों के चेहरों से नक़ाब हटा दी

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10 JUN AT 9:23

तिनकों ने सँभाला है अक्सर डूबतों को
उनको मालूम है अपनों से बिछड़ने का ग़म

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