अंजाम जाननेवालेको रोकने की जरुरत नही,
इंतकामसे गुजरेहुवेको भापने की जरुरत नही।
अक्सर नसीहते हवाओंकी झोकोंकी तरह है,
बस हमपे पुरा आस्माँ सोफने की जरुरत नही।
सैलाब जब आता है तो कोई गुलाब नही लाता,
देना तुम्हे जवाब है तो कांपने की जरुरत नही।
मसीहा कोई तारिख देखके नही आता किरण,
जहागीर लोगोंने दि हुवी बेचनेकी जरुरत नही।
देखा सपनाभी हकीकतसे एकदिन मेल खायेगा,
ये खेल आयेगा तो भरोसा खर्चनेकी जरुरत नही।-
कुछ दर्द पे मलम से अच्छा कलम काम करती है।🖋
कुछ लोग अखबारो मे एकबार आते है... read more
Every day I hope that creating new version of my self,that must be having all answers
Every day I hope to God that my each moment,days, hours not goes with average
At one day if I will never able to face any repercussions even I hope for strength to fight against persecution.-
मन की उर्जा भी इन्सान का तभ तक साथ देगी जब तक वो बेकाबू ना हो,
एकबार विचलित हो जाने पर आंखोके सामने पूरी दुनिया ही दिखती है, जिम्मेदार।-
आज जिंदगी मुस्कुराती है मुझपे,
फीरभी जींदगीमे मुस्कुराता रहेता हूँ मे ।-
इतना आसान काशके असलियत मे होता,
जिसे देखके मुस्कुराया वो हैसीयत मे होता।
अरमान उस वजूदकी वो जुदा ना हो जाये,
हर तरीका आजमाऊ जो खासियत मे होता।
हालाते दर्दके हिसाबसे होते मजबूर होने लगे,
हर पड़ावसे गुजरु मेरे जो तबीयत मे होता।
दिलकशी अब दिखानेवाली नही रही किरण,
नुमाइंदासे मिली ताकद इंसानियत मे होता।
अक्सर मरहम वो वक्त कभी रुखताभी नही,
बस हर पैगाम पडूं जो काबिलियत मे होता।-
दिल भी इक ज़िद पे बैठा है,
गुजरेहूवेके उम्मिद पे बैठा है।
रंजिशे होती रही हर्रेक तौरकी,
बिल-इरादा अब गिदपे बैठा है।
मशरूफ अपनेमे फारिग नही,
लोग कहेते ये नसीबपे बैठा है।
इजाजत कैसी अमानत कैसी,
गूजरनेवाला तहेजिबपे बैठा है।
मुफ्त मे हमदर्द होना मुश्किल,
जमाना नयी तरकिबपे बैठा है।
वक्त अकेला है अकेले हम नही,
वक्तका हिसाब नींदपे बैठा है।
हालाकि होश नही सय्यारोंका,
लगा चांद मेरे करीबपे बैठा है।
फर्ज हातोसे होता रहेगा किरण,
दर्ज होनेवाला रसीदपे बैठा है।-
सवाल जहेनमे जिसकी,जवाबमे दिलचस्पी नही,
काटोंकी आदत बनीकी गुलाबमे दिलचस्पी नही।
बहेतर होते हुवे देखा है,आपसी कश्मकशके रिश्ते,
मे अभीभी चेहरे पढ़ता हूँ किताबमे दिलचस्पी नही।
मसले देखे क्योंकी हौसला दिखाना बँद नही किया,
हकीकतसे इतना जुड़ाके ख्वाबमे दिलचस्पी नही।
दुरभी होता हूँ क्यौंकि कोई नशा छू ना ले हलकेसे।
जुँबा सच उगल सके वरना शराबमे दिलचस्पी नही।
कितनी दफा अंजानेमे खुद्सेही लढ बेठा तू किरण,
मंसूबा बनेतो वक्तको बाहरी हिसाबमे दिलचस्पी नही।-
युही दिल नही रोता अब गलत हो जानेपर,
सही के साथ सही नही अलग हो जानेपर।
मौके भी धुंदले अगर आखोसे नजर आये,
रफ्तार रखी घमंड नही जलद हो जानेपर।
मौजूद भी खौफ और दुसरी तरफ लोग है,
बस भरोसा रहा खुद्पे आफत हो जानेपर।
पहेचान बने मुलाकाते,अफसाने बनने लगे,
किसीसेभी प्यार न पाया अदब हो जानेपर।
हाजिर रब करेगा तू हल आखीर कब करेगा,
मुसीबत पुछके नही आती सावध हो जानेपर।
रखु तो क्या रखु खुदके पास सपनोंके सिवा,
पलभरमे पराया कर दिये पागल हो जानेपर।
लगता नही जमाना पहले जैसा रहा किरण,
या फिर होनी होती नाही गजब हो जानेपर।-
सुमसाम रास्तोंकाभी कोईतो ठहराव मिलेगा,
गरजे काले बादलोंका सुखा अलगाव मिलेगा।
महसूस सादगी बीजोंकी खेतोंसे मीट ना जाये,
अवामको बाहरी चकाचौंधसेही लगाव मिलेगा।
पँछी हवाकी विकीर्ण तरंगोको झेल नही पा रहे,
कुदरती सारी नस्लोसे इंसानका भेदभाव मीलेगा
बस्तियोंके नजदीक कारखानोंको रज़ा है किरण,
आम हस्तीकी बढती मांगसे नया पड़ाव मीलेगा।
फिगलती हिम हरदिन पानीका पानी कर रही है,
वायुकी घटती परतसे अनचाहा बदलाव मीलेगा।-
वक्त के साथ साथ कम अफसोस नही होता,
हदसे ज्यादा प्यार का सबूत ठोस नही होता।
अपनाके दरियादिली दुर दिल्ली थोड़ी जाना,
मुसीबत पल साथ नही वो पड़ोस नही होता।
बारिशे देखे छब्बीस रखके गिरेबानसे कमीज,
बड़ती धुप-नमीसे महसुस वो ओस नही होता।
जींदगी जहा ले जाती है वहापे भटकाती नही,
बरकती नहीतो मक्सद पाना कोस नही होता।
सबुरी,सब बुरी घड़ीकी करती खतम मजबुरी,
बस जमिंसे दुरी बादलोपे होके होश नही होता।
इंसानने देखा नही वजा बस अपने जैसा खोजा,
लगे दोरायपे राय देखे माहोल खामोश नही होता।
दरसल थंडक साबित फना होनेकी मील जाती,
उन्हे गुमशुदा सरसे फलक होनेसे रोष नही होता।
जितना नशा खुली आँखोके सामने मौजूदभी है,
भापके जाली मीठी तारीफोंसे मदहोश नही होता।
जस्बाद होके दावपे किसीकी परवाह नही किरण,
वैसी जीत पाके प्रीत हारके जल्लोश नही होता।
बैचेनी कैसी गर शक्ल पड़ना आये आसानीसे तो,
महफिल बनती रही रंगीन तभी संतोष नही होता।-