मैंने इंतजार चुना है , शाम के ढल जाने का , वक्त के बदल जाने का राहों के मुड़ जाने का , खुद के संभल जाने का । मैंने इंतजार चुना है । मुश्किल होगा ये जाना है , पर दिल हार तो नही माना है , थक कर जो तुम चुन लो राह , वो राह कहा चुनी मन से जायेगी । और जो मन ही ना स्वीकार करे , फिर उसे जिंदगी कैसे अपनायेगी । कोई चले जो मन से साथ मेरे , मैं साथ उसी का मागूंगी । तब तक मैने खुद का साथ चुना है । मैंने इंतजार चुना है । जो छोड़ दिया आज साथ सपनों का , कल आंखे सपना देखना भूल जायेगी , जो नही चल पाए हम पथरीले रास्तों पर , कैसे ज़िंदगी बिना चोट दिए कुछ सिखाएगी मैंने खुशी से उसका हर एक दर्द चुना है । मैंने इंतजार चुना है ।
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कुछ हसीन पल , अपनो के साथ बिताया खुशी का पाल काफी है जिंदगी के लिए
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हा में एक लड़की हूं , जिसके पैदा होते ही मां को बधाई की जगह सांत्वना मिली जिसके थोड़े बड़े होते ही ज़िम्मेदारी की जगह चिंता बड़ी जिसके कपड़ो से लेकर पढ़ाई का फैसला घर के पुरुषो ने लिया । जिसे उसकी उम्र से पहले उसको हंसने बैठने , अदब से रहने का ढंग बता दिया गया । जिसे खानदान की इज्जत , घर की परंपरा , औरत की मर्यादा शुरू से ही सीखा दी गई । एक आदर्श मां , एक वफादार पत्नी , और एक इज्जतदार बेटी की भूमिका समझा दी गई । जिसके चारों ओर एक दीवार सुरक्षा के नाम पर लगाई गई , और फिर कभी घुंघटो में , कभी परदे के पीछे जिसकी हर चीख दबाई गई । जिसके सपने तुम लड़की हो कहकर दबाए गए , जिसके शिक्षा से ज्यादा दहेज़ के लिए पैसे बचाएं गए । जिसके खुल के जीने पर उसे चरित्र के कटघरे में खड़ा कर दिया । कभी नौकरी , कभी महलों से उसके बिना मन ब्याह दिया गया जिसे खुल के बोलने की इजाज़त इस दुनिया ने कभी दी ही नही । हां मैं लड़की हूं पर इसमें मेरी कोई गलती नही ।
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मैं जब भी किसी सफ़र से लौट कर घर आती हूँ ... कुछ सामान भूल आती हूँ अपने सफ़र में कुछ नया सामान सफ़र से अपने साथ ले आती हूँ .. बिखरने लगती हैं कुछ उलझनें कुछ बेचैनियां मेरी . खिलते हुए खेतों , बहती हुई नदियों , हंसते हुए बच्चों को देख कर .. कुछ चेहरों पर कई दिनों बाद घर जाने का सुकून देख कर ... कुछ चेहरों पर घर से दूर अपने ख्वाबों को पाने का जुनून देख कर ... भर उठती है दिल जब कुछ अजनबियों से बेपनाह प्यार पाती हूँ .. सफ़र का सुकून , सफ़र की शामें , सफ़र की हलचल , सफ़र का प्यार ... सब कुछ थोड़ा थोड़ा मन की जेबों में भर लाती हूँ ... मैं जब भी किसी सफ़र से लौट कर घर आती हूँ ... कुछ सामान भूल आती हूँ अपना सफ़र में ... कुछ नया सामान सफ़र से अपने साथ ले आती हूँ ..
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मैं जब भी किसी सफ़र से लौट कर घर आती हूँ ... कुछ सामान भूल आती हूँ अपने सफ़र में कुछ नया सामान सफ़र से अपने साथ ले आती हूँ .. बिखरने लगती हैं कुछ उलझनें कुछ बेचैनियां मेरी . खिलते हुए खेतों , बहती हुई नदियों , हंसते हुए बच्चों को देख कर .. कुछ चेहरों पर कई दिनों बाद घर जाने का सुकून देख कर ... कुछ चेहरों पर घर से दूर अपने ख्वाबों को पाने का जुनून देख कर ... भर उठती है दिल जब कुछ अजनबियों से बेपनाह प्यार पाती हूँ .. सफ़र का सुकून , सफ़र की शामें , सफ़र की हलचल , सफ़र का प्यार ... सब कुछ थोड़ा थोड़ा मन की जेबों में भर लाती हूँ ... मैं जब भी किसी सफ़र से लौट कर घर आती हूँ ... कुछ सामान भूल आती हूँ अपना सफ़र में ... कुछ नया सामान सफ़र से अपने साथ ले आती हूँ ..
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माफ कर दो मुझे
मैंने हर बार तुम्हें धोखा दिया है ना
तुमने हर बार मुझे मनाया है ना
मैं फिर भी तुम्हे बड़ा सताया है ना
दिल कि बाते बोली है हर बार तुमने, मैंने मजाक कह कर तुम्हे हटाया है ना
पर जब भी तूने अपने दिल की बात रखी है ना
मुझे अंदर ही अंदर खुशी हुई है ना
बोल नहीं पा रही ना जज़्बात अपने है ना
इसी का तो डर है मुझे अगर छोड़ दोगे मुझे कभी है ना
तो मेरे दिल का क्या होगा टूट जाएगा है ना
बस इस लिए पहले से समझाया है इस दिल को कि लगे ना किसी पर ये दिल ही है ना
इस लिए माफ कर दो मुझे है ना❤️
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यूंही नहीं बहा देती हूं , आसूं मैं बात बात पर , जरूर दुख होगा मेरा भी दिल किसी बात पर , हालात पर हंसने से पहले मेरे , उस हाल से पहले गुजर जाना , दर्द को मेरे , बेवजह अपनी महफ़िल का हिस्सा न बनाना , देना हो अगर तो साथ देना , हो इच्छा अगर देने की सलाह तो रहने देना ... !!
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किस पर करे विश्वास , यहा तो सब पैसो मे बिकते है,
महान देश के महान लोग यहां पैसों में बिकते दिखते हैं
जहां नारो मे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा चल रहा
उस देश में आज पैसा मे सब बिक रहा
जब सोच ही छोटी तो क्यों ये पर्चां बिक रहा
महान देश का काम बिन पैसों के भी टिक रहा
किस पर करे विश्वास, यहां तो सब पैसा मे बिकते है
महान देश के महान लोग यहां पैसों में बिकते दिखते हैं-
समय की रिल
इस कदर चक रही है
कभी चल रही कभी अटक रही है
सुलझाते सुलझाते अब थक से गए है हम
पर समय की रिल
इस कदर चल रही है
हर राह में रुकावट है,गिरते गिरते चलना भी सीखा रही है
क्या चाह रही है
हर बात मे मुझे सुलझा रही है
समय की रिल
इस कदर चल रही है
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जिंदगी एक ऐसे किताब है
जिसके सभी पननो पर khawabo का बसेरा है
यू कह दू की जिंदगी एक परिंदो का बसेरा है
जहा चुनना भी खुद से है और बनना भी खुद को है
जिंदगी का सफ़र आसान नहीं
बस उसे बनना होता है
अपने हिसाब से चलाना होता है
जिंदगी की किताब में हमारे द्वारा कि गई गलतियों या नादानियों को हमे खुद ही सम्हालना होता-