मुझे प्यार ना बाग से हुआ
ना गुलाब से हुआ ,
जिम्मेदारियों का बोझ उठाए हो तुम ;
पर अफसोस तुम्हें ना प्यार मुझसे हुआ ,
और हमें ना प्यार तुमसे हुआ।
चलो आजमाते हैं एक दूजे को,
एक क्षण के लिए मान लेते हैं कि
एक दूजे के लिए हम नहीं,
फिर पूछते हैं दिल और दिमाग से,
क्या अब सुकून है तुझे उसके बिना ,
क्या दिन और रात
गुजार लेंगे एक दूजे के बिना,
क्या आंखें नहीं ढूंढेंगे एक दूजे को?
क्या दिल बेचैन नहीं होगा एक दूजे के लिए?
अगर जवाब नहीं है, तो प्यार भी नहीं है।
यदि जवाब हां है तो प्यार भी वहां है।।
बस यही तो है प्यार।
इसे ही तो कहते हैं प्यार।।
कोई जरूरी नहीं है की
जो बाहों में बाहें डालकर,
लंबे चौड़े वादे कर दे तुम्हारे साथ मिलकर।
बस वही प्यार प्यार है!
तुम अपने आप को बहकाओ नहीं,
सच बताओ कि यह प्यार प्यार नहीं।।
प्यार बेबसी का नाम नहीं,
प्यार उजाड़ता किसी का संसार नहीं।
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