Kiran Gautam  
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तुम भी वक्त जैसे थे ---
Joined 5 March 2022


तुम भी वक्त जैसे थे ---
Joined 5 March 2022
28 FEB AT 21:01

जिंदगी की इस दौड़ में आगे बढ़ते-बढ़ते हम इतना आगे बढ़ गए,
पता ना चला हम कब इतने बड़े हो गए।
वो बचपन की प्यारी सी यादें, वो प्यारी शरारतें भूल गए,
कुछ इस तरह बड़े हुए, हंस के गम छिपाना सिख गए
बचपन में देखे वो बड़प्पन के सपने भूल गए,
जब समझ आई ये दुनिया, हम वो निष्कपट मुस्कान भूल गए।
रखे जब जवानी की दहलीज पे कदम बस सिर्फ सपने अपने लगे,
पर उन सपनों की खातिर कितने अपनों से बिछड़ गए।
मां के हाथ का खाना छोड़ हॉस्टल का खाना सिख गए,
हम एक छोटे से कमरे में भी एडजस्ट करना सीख गए।
कुछ यूं बाहर निकले दुनियादारी को समझ गए,
बस समझते- समझते इस दुनिया को कब हम खुद को भूल गए।
मन में गम हजार सही,सब छिपाना सिख गए,
हां मम्मी मैं ठीक हूं, बस ये बताना सिख गए।
ऐसे दौड़े इस दौड़ में हम टहराव भूल गए,
जाने कब खुद से इस तरह अनजान बन गए।
कब उस भोले से बचपन से हम इतने समझदार बन गए,
बस कई बार लगता हैं हम क्यों इतना बड़े हो गए।





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2 FEB AT 19:48

उस कोहरे की अदृश्यता बिल्कुल उन जिंदगी के पन्नो की तरह है,
जितना पास आते जाते हैं उसकी एक एक तह खुलती जाती हैं।
वो दर्शाती हैं एक पन्ने को देख कर बाकी पन्ने ना देखने की भूल मत करना,
जैसे जैसे चलते जाओगे, हर पन्ने में तुम्हें कुछ नया देखने को मिलेगा।
कब उस गहन कोहरे के बाद धूप आ जाएं पता नहीं चलता,
इसलिए ये ना हो की आगे कदम ही ना बढ़ाया जाए।
जिंदगी का एक ही नियम हैं चलते जाओ- चलते जाओ,
एक रास्ता ऐसा जरूर आयेगा जहां से सब साफ नजर आएगा।

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24 JAN AT 18:53

जो नसीब में नहीं,
वो हसीन बहुत होता हैं।

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20 JAN AT 22:25

यूं नहीं निकलते परिंदे घोंसलों को छोड़ कर,
कुछ सपने होते है जो उन्हें उड़ने का हौंसला देते है।
माना की उड़ने से पहले सौ बार गिरते हैं,
पर गिरकर भी हर बार वो संभलते है।
जानते हैं किसी की उम्मीद, किसी का हौंसला वो,
गिर गए तो उनके साथ वो सारी उम्मीदें गिर जायेंगी जिनके साथ उड़ना शुरू किया था।
आयेंगे सब तुम्हें देखने के लिए,
पर उम्मीद मत करना की तुम्हें उठाएंगे,
सिर्फ देखने आयेंगे की सपने टूटने की भी कोई आवाज़ होती है क्या,
आज तेरे सपने जो सबके हैं,
वो उस दिन सिर्फ तेरे रह जायेंगे।
तू सिर्फ एकबार गिरेगा,
पर तुझसे जुड़ी वो बेहिसाब उम्मीदें तुझे सौ बार गिराएगी।
मत हिसाब लगाना अपने हर दुख का,
क्योंकि हर एक दुख सिर्फ तुम्हें अंदर तक कमजोर करेगा,
और बहुत जल्द तुम्हारे पंखों को बेजान कर देगा।

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9 JAN AT 23:08

सब सोच रहे हैं ना poem की शुरुआत कहां से होगी,
तो हम चाहते हैं आप मुस्कराए, शुरुआत वही से होगी।
कुछ खूबसूरत दिल के अफसाने पढ़े जाते हैं, लिखने लग जाएं तो बस कुछ तराने लिखे जाते है,
ऐसा नहीं की शब्द नहीं हमारे पास, पर आपके लिए शब्दों के खजाने लिखे जाते है।
आपका वो मुस्कुराता चेहरा सच में एक अजीज अजान हैं,
बिन खुशबू के जैसे फूल नहीं, आप इस विभाग का सौभाग है,
आज आपके जन्मदिन पे हम आपको बधाई लाख देते हैं,
माना की लायक नहीं फिर भी शब्दों का तोहफा देते हैं।
कुछ कहे या लिखे आपके लिए माना की ऐसा शब्दो मे सामर्थ्य नही,
पर आपसे ही सीखा है कोशिश छोटी हो या बड़ी लेकिन हार नहीं,
देखते ही आपको एक बार हम दिखाई नहीं देते हैं,
एक बार 7606 क्या दिख जाए हम किसी की खोज से भी नहीं मिलते हैं ,
डिपार्टमेंट से हम क्या निकले पैरों की आवाज तक नहीं करते हैं,
आपकी एक छोटी सी मुस्कान से हम सौ सौ बार खिलते हैं,
माना की हम आपसे बहुत डरते हैं,
पर यकीन मानिए mam हम आपसे प्यार भी बहुत करते हैं।
बहुत कुछ सीखा बहुत कुछ पाया है आपसे, हम और सीखना चाहते हैं,
आपसे सीखने के ये सुनहरे अवसर मिलते रहे, भगवान से आपकी लंबी उम्र चाहते हैं।


















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28 DEC 2023 AT 13:44

बीते इस साल के साथ सब बुरी यादें भुला देना,
कुछ जख्म मिटा देना कुछ जख्म छिपा लेना।
मत याद रखना उन आंसू भरी बरसातों को,
मत बिखरने देना किसी के सामने अपने उन जज्बातों को।
भूल जाना उसे भी जिसने तुम्हारा दिल दुखाया है,
करना शुक्रिया उनका जिसने तुम्हें आयना दिखाया है।
मत भूलना हर अंधेरी रात के बाद सुबह आती हैं,
गम की ये बरसातें सिर्फ तुम्हें मजबूत बनाती हैं।
मत करना कोई बुरा इरादा किसी के इरादे परख कर,
कुछ बातें अधूरी छोड़ देना बस उनका समय समझ कर।
उन अच्छी यादों को अख्तियार ना कर लेना,
कुछ पल की खुशी के बाद आंखों की नमी ना बनने देना।
जितना हो सके खुशियों को चारों ओर तुम फैलाना,
अपने छिपे दर्द को कभी चहरे पर ना आने देना।
अपने दर्द, अपने जज्बात सिर्फ अपने तक तुम रखना,
बताकर किसी को अपने दर्द हंसी का पात्र ना तुम बनना।
करना तुम शुरुआत एक नई सुबह समझकर,
भूल जाना हर दर्द अंधेरी रात समझ कर।



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21 DEC 2023 AT 19:25

मेरे हर दर्द में वो मुझे याद आती हैं,
वो मेरी मां हैं जो मुझे सीने से लगाती हैं।
जहां मैं डरती हूं, परछाई बनकर साथ चलती है,
जहां डगमगाए मेरे कदम, वो मेरा हाथ पकड़ लेती हैं।
उसका सिर पर रखा हाथ, जैसे हर गम को दूर कर देता हैं,
उसका गोद में सुलाना जैसे दुनिया की हर जन्नत को गोद में ले आता है।
उससे थोड़ा सा दूर क्या हो जाऊं, जैसे जान निकल जाती हैं,
सच में मां तू मुझे बहुत याद आती हैं।

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17 DEC 2023 AT 20:57

कुछ सवाल सरहदे पार करते हैं,
कुछ मेरी ना ,कुछ तेरी हां करते है।

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13 DEC 2023 AT 8:34

नव-पल्लव पर पड़ी वो ओस की बूंद दूर से ही चमक रही थीं,
लगता था उसकी हर खुशी उसकी चमक से थी।
उसकी उस समय की वो चमक हीरे से कम नहीं थी,
पत्ते पर गिर वो इस तरह इतरा रही थी।
जैसे वो पल्लव उसकी चमक से ही नव-पल्लव था,
पर हर रोज सूरज को सांझ होने पर ढलना पड़ता है।
उसकी वो चमक भी उसी तरह फीकी होती जा रही थी,
जैसे एक समय के बाद चहरे की चमक फीकी होती जाती हैं।
वो चमक जो गुरुर था उसका, आज हाथ से रेत की तरह फिसलता जा रहा था,
लाख कोशिशें की खुद को हीरा दिखाने की,
पर आखिर सच ये था की वो सिर्फ पानी की एक बूंद थी।










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30 NOV 2023 AT 22:32

दिल के जज्बात हाथ पे कुछ इस तरह उभरते हैं,
महेंदी को सुंदर रचना ही होता है, जब नाम उनका हथेली पे रचाते हैं ।

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