सादगी से भरी जिंदगी है मेरी, मैं मुखोटे नहीं लगाती हूं, जो भीतर है वही बाहर भी है मैं किसी पर इल्जाम नहीं लगाती हूं, लोग सोचते हैं कि मुझे पागल बना गए हैं, सच जानती हूं मैं,फिर भी जहिर नहीं किया करती हूं।
मुझे अच्छा लगा कि मैं पहले सी नहीं रही, मुझे अच्छा लगा कि मैं बदलने लगी मुझे अच्छा लगा कि मैं खुद से प्यार करने लगी. मुझे अच्छा लगा कि मैं अपने सब रूठे हुओं को मनाने लगी। आज मुझे वाकई बहुत अच्छा लगा😊