बजे जब कान्हा की बंसी,
झूम उठे मेरा तन मन है!
हाँ मैं कान्हा की दीवानी,
और राधा मेरी सौतन है।
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तब तब खुद को खोयी हूँ मैं 👁️
😔 लिखना नहीं आता पर जब जब पढा... read more
जब जब किसी ने कहा कि मैं कमाल लगती हूँ
जानते हो जान तब तब मैं तेरी याद में रहती हूँ
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आहिस्ता से चलने दो मुझसे
आहिस्ता से उड़ने दो मुझे ।
आहिस्ता से बोलो कुछ तुम
आहिस्ता से सुनने दो मुझे।
हटा लो हांथ तुम आँखों से
आहिस्ता से पढ़ने दो मुझे ।
कहने का हक़ तो सबको है
आहिस्ता से कहने दो मुझे।
उस रात के लिए शुक्रिया
आहिस्ता से हँसने दो मुझे ।
आहिस्ता से जीना अब तुम
आहिस्ता से मरने दो मुझे।
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देख आज मैं तेरे शहर आयीं हूँ,
एक दफ़ा मुझसे मिलने आओगे क्या?
तुमको बारिश बहुत पसंद है ना,
तो बेमौसम बरसात करवाओगे क्या?
तेरा हर वक़्त शर्माना ठीक है,
मेरा हाथ पकड़ कर शर्माओगे क्या?
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साँझ हो तुम, रात हो
भोर की तुम धूप हो,
भस्म हो तुम, आग हो
कृष्ण का तुम रूप हो,
अंग हो तुम, प्यास हो
आब का तुम कूप हो,
रैन हो तुम, रश्मि हो
रति का तुम स्तूप हो,
देख लेते तुम अँधेरा
तुम तो दक्ष ऊलूक हो॥
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रातें अंधेरी पसंद हैं तुमको,
फ़िर भी अंधेरे से तो डरते हो तुम ॥
दुनिया तो नहीं दिखा सकते,
दिखाने की ख्वाहिश तो रखते हो तुम॥
ग़ज़ब रोते हो ईन आंखों से,
हँसाने की हिम्मत तो रखते हो तुम॥
शायर बनाया ____ ने तुम्हें,
उन्हें दर बदर हरदम भूलते हो तुम॥
चाय तुम्हें थी यूँ बेहद पसंद,
फ़िर भी नापसंद अब करते हो तुम॥
कहानी बताऊँ वो कैसे तुम्हें,
क्यूँ अकेला यूँ महसूस करते हो तुम॥
खोए से रहते न जाने कहाँ,
क्या नयी जिन्दगी अब जीते हो तुम॥
वादा किए ____ से जो तुम,
क्या खरा अब भी उसपे उतरते हो तुम॥-
सुना जब तेरी ये आवाज
मैं तुझमें खो गई सजना ॥
देख ऐसी मासूमियत तेरी
जोरों से रो पड़ी सजना ॥
सुनते - सुनते तेरी हर बात
बेधड़क सो गयी सजना ॥
तेरी हर धड़कन सुन कर के
धड़कनें रुक गयी सजना ॥
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कि वो कुछ ऐसा लिखता है :-
कि मुर्दे में भी जान आ जाए
वो कुछ ऐसा लिखता है ।
दर्द लफ्जों में नज़र आ जाए
वो कुछ ऐसा लिखता है ।
रोते अश्क भी मुस्कुरा जाए
वो कुछ ऐसा लिखता है ।
पढ़ मसीहा भी थिरक जाए
वो कुछ ऐसा लिखता है ।
रातों का जगा भी सो जाए
वो कुछ ऐसा लिखता है ।
मधुप गुनगुना कर रह जाए
वो कुछ ऐसा लिखता है ।-
मैं बस कुछ नहीं तेरे बिन
बताना क्यूँ जरूरी है !
मेरी बस तुम दिललगी हो
बताना क्यूँ जरूरी है !
मेरे बस तुम शहजादे हो
बताना क्यूँ जरूरी है !
अलादीन भी तुम मेरे हो
बताना क्यूँ जरूरी है !
तेरी आंखों की आशिक हूँ
बताना क्यूँ ज़रूरी है !
तेरी रजा में ही मैं राजी हूँ
बताना क्यूँ ज़रूरी है !
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इश्क़ तुम करो
इंतजार हम करेंगे ॥
सामने तुम आओ
इज़हार हम करेंगे ॥
शायरी तुम लिखो
गुलजार हम करेंगे ॥
राज़ छुपाना तुम
अख़बार हम करेंगें ॥
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