वो सर्द रातें और तेरी मीठी बातें,
रही गई बस यादें, बीत गई रातें।।
सोचा लिखूँ ख़त सनम तेरे नाम,
लिखना जो चाहा, सुख गई दवातें।।
हिज़्र की आग में दहकता रहा दिल
और दबी रही आँखों में बरसातें।।
क्यूँ बेवजह बढ़ रही थी दूरियाँ,
बताओं कैसे भुले तुम मुलाकातें।।
ज़ख़्म दिल के कुरेदती हैं अब
ये सर्द रातें, हाय! ये दर्द रातें।।
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