यूँ तो खरीद लें हम, मलमल तमाम दुनिया का
कमबख़्त, सुकून हासिल फ़क़त तेरी ही गोद में !
छिपा भी ओट में खुद को, सब की नज़र से बचा
या खुदा, खुद को ढूंढ लेते तेरे गेसुओं के साये में!
कमा कर भी दौलत गोया फक़ीर ही रहे, ऐ सनम
हो जाते अमीर पा कर सरमाया अपना एक तुझ में!
बचपन से जवानी गुज़री दर्द और अकेलेपन के साथ
दिखता तू ही रहबर,हमसफ़र मेरा, राह-ए-'अदम में!
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