सिवाय तुम्हारी खुशबू के
मैं घंटो तक बैठा रहा वहीं
जहां तुम मुझे छोड़ गई थी
और झूमता रहा ख्वाबों के ऊहा पोह में
कि जैसे तुम कभी गई ही नहीं
कि जैसे तुम अभी भी मेरे पास बैठी है
अभी भी तुम्हारा सिर मेरे कांधे पर टिका है
और मैं तेरी जुल्फों को किनारे से उठा रहा है
अभी भी तेरा हाथ मेरे हाथ में है
और मैं, मैं गुम हूं कहीं तेरी सांसों की खुशबू में
यही तो वो खुशबू है जो
जो जागने ही नहीं देती मुझे तेरे मोह पाश से
और मैं इसमें कहीं और गहरा बस डूबता चला जाता हूं
बस यही खुशबू है मेरे पास
असीम अनंत प्रेम के लिए ❣️🌹
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