khushihaali paswan   (मिnakshi✒)
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एक कोशिश दिल के कलम से लिखने की ✒
Joined 30 November 2017


एक कोशिश दिल के कलम से लिखने की ✒
Joined 30 November 2017
17 FEB 2024 AT 1:15

साड़ी में लिपटी वो अदभुत नारी,
माथे पे बिंदी, सिर पे पल्लू रखा करती थी
दिखती थी वो साधारण सी,
लेकिन करेजा शेरनी का वो रखती थी

जब रहते थे हम सहमे से,
अपनी गोद में आहिस्ता से सुला लेती थी
चाहे कैसे भी हो हालात,
इक आंच ना किसी पे आने देती थी

इक रोटी मांगने पे,
२ - ३ रोटियां थाली में रख देती थी
अपनो की खुशियां हो या बीमारी,
वो माँ ही तो थी जो आंसू बहा लेती थी

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11 JUL 2021 AT 23:57


हर बार बिखेर कर जोड़ देती है तू
और जब सभी टुकड़े जुड जाये
तो फिर तोड़ देती है तू

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28 JUN 2019 AT 16:22

आज बिन मौसम बुंदे बरसी
दिल ने पुछा कही ये उनके आने की आहट तो नही ।।

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10 JAN 2019 AT 21:14

लोग अक्सर पूछते है की इतना लिख कैसे लेती हो ?
कौन समझायें उन्हे लिखती मैं नहीं, मेरा दर्द है
पेन और कागज तो सिर्फ़ जरिया है

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10 JAN 2019 AT 21:04

कहने को तो वो स्टेशन था
पर मेरे लिए जन्नत था
मैं अक्सर आया करती हूँ
उन लम्हो में जिया करती हूँ
जहाँ हमने एक दूजे को अपना कहा था
कूछ पल के लिये ही सही
पर मैं खूद से मिला करती हूँ
कहने को तो वो स्टेशन था

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14 JAN 2018 AT 7:04

हवाओं को चिरता हुआ, आसमां में रंग बिखेरता हुआ
बेरंग नीले आसमां में उड़ता हुआ ,दिल एक बार बोल उठे

" काई पो छे "

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9 JAN 2019 AT 21:35

Pain feels like my heartbeats.
It will only stop when heartbeat will stop.

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8 JAN 2019 AT 23:51

I shattered and nothing is enough to hide my pain.

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7 JAN 2019 AT 7:00

Dear Insomnia,
Thank you for be with me since he left.

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6 JAN 2019 AT 20:04

हम उनसे नफरत ना कर सके, तो उन्होने हमसे कर लिया

वो हमसे मोहब्बत ना कर सके, तो हमने उनसे कर लिया

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