Khushi Singh   (Khushi singh)
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Joined 11 January 2022


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6 JUN 2022 AT 1:23

न मुहब्ब़त उनको हमसे थी,न शिकायत हमको उनसे
बस बात इतनी सी थी जानिब!
वो मर्ज़ थे हमारे और हम फर्ज़ थे उनके‌।

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3 JUN 2022 AT 19:10

चंचल सी प्यारी के अंग सजल
सस्मित निशाकर के राग अमल
दुकूल से ढंके उसके तन कोमल
सिखलाती स्त्री के हो भाव-भंगिमा सरल।
निर्मल से उसके भाव वो
वक्षस्थल की सघन वेदना को
शीतल से हाथों की प्रगाढ़ छाप तो
देख जन-जन निहाल हो।
तम केश में जिसके छिपा
धवल चांदनी में जग दिखा
कहता है अवशिष्ट तम को अब तू मिटा
विश्व को शांति का सार सीखा।
बादल की ओट से झांककर
संकेत देता मानों डांटकर
क्या डर गये तुम इस रजनीचर से?
अभी गुजरना बाकी है अपने-पराये के डगर से।


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20 MAY 2022 AT 17:39

मेरे ख्वाबों पर बंदिशें ना लगाओ
अभी उड़ान बाकी है
नाउम्मीद ना होना
अभी आखिरी सांस बाकी है।
वो रातों का जागना
इक दिन रंग जरूर लाएगा
मेरे सपने बहोत बड़े है
कोई चाह कर भी ना तोड़ पाएगा।
अरे!डगर में मुश्किलें तो आएंगी
आंखें बंद करके नहीं
खुली आंखों से सपना जो देखा है
मेरी हार पर जो हंसते हैं
उन गैरों जैसे अपनों को देखा है।
इक दफां नहीं
कई मर्तबा हारी हूं
आंखों में नींद नहीं आती अब
कई अर्से से जाग रही हूं।
अब तो यह सफर वही जाकर रुकेगा
जिसकी तलब में हम सोए नहीं
इक यही वजह है कि
हम अपनी नाकामियों पर रोए नहीं।

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20 MAY 2022 AT 17:09

एक प्यारी सी एहसास है मां
उम्मीद की अमिट प्रकाश है मां
निश्छल, निस्वार्थ जो प्रेम करें
वो है प्यारी मां।
मेरे जीवन का पसंदीदा किरदार है मां
मेरी आखरी उम्मीद की पहली आसार है मां
मेरी सबसे अच्छी सलाहकार है मां।
हमारी गलती को अपनी गलती मान
उसको सुधारती है मां
गमों के समंदर को खुद में छिपाये
बच्चों पे खुशियां वारती है मां
अपने सपनों की कुर्बानी देकर
हमें उड़ान भरना सिखाती है मां।
क्या लिखूं तुम्हारे बारे में
वो शब्द कहां से लाऊं मां
जो तेरी महिमा का गुणगान करें
वो मधुर तान कहां से बनाऊं मां।
बस इतना कहना है तुम्हारे बारे में....
कभी-कभी कश्ती भी
बिना पतवार पार हो जाती है
पर बिना मां के आंगन में
बचपन की कली कहां खिल पाती है।
तेरी आंचल की छांव में
मेरी हर शाम गुजर जाये
उस परवरदिगार से हर रोज दुआ करतीं हूं
बस मेरी ये दुआ कुबूल हो जाये।



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8 APR 2022 AT 0:03

जो हमारी जहाऩत पे शक करते हैं
उन्हें फ़तह हासिल करके दिखाना है।
मुझे किसी को अपने कदमों में झुकाने का शौक नहीं
उन्हें उन्हीं की नजरों में गिराना है।।

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4 APR 2022 AT 21:32

सोचती थी
तुम न आए तो वक्त गुजारूंगी कैसे?
मगर सब खोने के बाद
ये हुनर भी खुद-ब-खुद आ गया।

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2 APR 2022 AT 19:53

आपकी इनायत में मैं खुद से दूर हो गई
जो कभी आजाद परिंदा हुआ करती थी,
वो आज मजबूर हो गई।

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2 APR 2022 AT 19:45

आपको पाने की कोशिश तो बहोत थी
मगर हमने भी दिल को समझा ही लिया कि
कुछ फूल दिखने में सुन्दर और फितरत से जहरीले होते हैं।

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1 APR 2022 AT 0:34

इस दर्द-ए-दिल का किस्सा न सुनाया जाये तो अच्छा है
क्या हुआ? कैसे हुआ?न बताया जाये तो अच्छा है।
अपने हिस्से का ग़म सह लिया हमने
अब किसी और को न रूलाया जाये तो अच्छा है।।

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31 MAR 2022 AT 9:12

तुम्हारे हर ख्वाब को पूरा करूंगा तुम बस देखते रहना
तुम्हारे लिए खुदा से नूर ले आऊंगा तुम बस देखते रहना।
जो वफा कर नहीं सकते वो आज कल वफा की बातें करते हैं
एक दिन तुम्हारी दुनिया बन जाऊंगा तुम बस देखते रहना।।

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