बहुत पर एतबार करके देखा इस जालिम दुनिया के अंजानो पर ,
मगर आखिर में कोई साथ रहा तो वो थे सिर्फ तुम।
काश ! पहले मिले होते तो इस तन्हाई की महफिल का सहारा ना लेना पड़ता...खैर अब गिला इस बात का है कि तुम्हारे जाने पर फिर से तन्हा रह जाएंगे हम और सिर्फ हम (मैं और मेरी तन्हाई)..।-
आँखे भारी होने लगी है..
लगता है अब इन आसूँओ का बोझ नहीं सहन कर पाएंगी ।-
न जाने जायदाद के पीछे वो क्यो भागे जब हमने अपने आप को ही उनके नाम कर दिया था
उनकी खुशी के लिए अपना हर एक लम्हा कुरबान कर दिया था
उनके खातिर सारी दुनिया को पराया कर दिया था
जिन्होने हमे कभी अपनाया ही नहीं था ।
मनहूस ही होगी वो घड़ी जब ऐसे लोगों का साया हमारी जिंदगी में आया था
जिन्होने एक दुश्मन का किरदार हमारी जिंदगी में निभाया था
अब इनसे बैर रखके भी क्या मतलब जबकि असली नुकसान तो हमारा नहीं उनका ही था ।-
जिंदगी में इतने अकेले रह लिए हैं
कि अब अकेलेपन में ही अपनापन लगने लगा है ।-
ऐ कलम , एक तेरा ही तो सहारा है
वरना इस जालिम दुनिया ने तो हमे वैसे भी नाकारा माना है ।-
पता नहीं क्यों आँख खुल जाती है ; हमें तो सपनो की दुनिया हकीकत से आजिज़ हैं...
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हमारी चाहत की गहराई तो हमे तब समझ आई , जब हम तुमसे मिलने के लिए बहाने ढूंढने लगे ।
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आज हमे उसने तेरा-मेरा गिना दिया ,
जिसके लिए हम अपना सबकुछ कुरबान कर बैठे थे ।-
जो लोग कभी आँख बंद करके भरोसा किया करते थे हमपर , आज उन्हीं लोगों को बहुत कुछ साबित करना पड़ा ;
किसी ने सही कहा है , वक़्त के साथ सबकुछ ढल जाता है , विश्वास भी ।-