Khushi Khanna   (Spectacular Sunflower)
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Joined 22 February 2020


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31 MAR 2022 AT 11:46

व्यथा
मेरे पसीने की महक
उस मिट्टी के कण में रहती है,
जिसमें उगे फलों से तुम पकवान बनाते हो।
मेरे श्रम की अग्नि
उस लकड़ी में जलती है,
जिससे तुम अपने प्रिय की चिता जलाते हो।
मैं जागता हूं दिन रात,
और तुम सैर–सपाटों के गुण गाते हो।।

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20 JAN 2022 AT 9:54

प्रतिबिंब है मानवों का,
यह सही गलत का मेल,
है अस्तित्व दानवों का।

धूप न स्वीकार कभी,
कभी सूर्यदेव को पूजते हैं,
मौसम जैसा रंग दिखा दे,
वही अपनी श्वासों में भरते हैं।

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2 JAN 2022 AT 14:22

सपना है मेरा!
(Read in Caption)

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22 NOV 2021 AT 18:46

Visiting My Cradle
(Full piece in Caption)

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7 NOV 2021 AT 22:20

Lovelorn

Kissing my cheeks - the lustful air,
Oh! Entomb my desire of entwining in your crispy hair.

Jerks in my body, while I enmesh in your shade.
Let me live or let me fade!

Endeavouring your tender voice, washing the murk away.
Oh! Let me rest in your soul, let me pave my way.

Drifting us apart is the world made of flesh and blood,
Dreaming of you, my love, I became a forlorn bud!

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2 SEP 2021 AT 9:54

यह बेबसी की मार है, या डर से हार है?!
कि संवेदनाएं तो हैं, पर कुछ कहने से भी है डरते..!
तिमिर सा सन्नाटा भी चुभता है अब,
ये न खुद के स्वप्नों के लिए संवरते, कैद है जिंदगी मानो, पल पल हैं मरते..!

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21 AUG 2021 AT 16:30

मेरे देश की सृष्टि
(अनुशीर्षक में पढ़ें)

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2 AUG 2021 AT 20:06

स्कूल और साथी
(Read in Caption)

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26 JUN 2021 AT 18:17

पाप करो यही दंड का मूल है
तुम्हारा दुर्व्यवहार सच है शूल है
इन सलमे सितारों के बीच,
तुम्हारा दिखावा चमकता है पर धूल है

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20 JUN 2021 AT 11:17

पापा मैं बड़ी हो जाऊं
(Read in Caption)

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