Khushi Kandu   (© Khushi Kandu (خوشی))
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Joined 5 March 2018


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25 JAN 2022 AT 18:48

वक़्त ही मेरा ख़ुदा वक़्त ही मेरा हमसफ़र है।
वक़्त पे मुझे‌ है भरोसा यही मेरा रहबर है।।— % &

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27 MAY 2021 AT 17:41

जुस्तजू, आरज़ू, तलाश, तिश्नगी,
इश्क़, इनायत, उल्फ़त, दिल्लगी।
सबकुछ निसार मेरी जां इक तेरे वास्ते,
ये सांसें, ये धड़कन, ये मेरी ज़िन्दगी।

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9 MAY 2021 AT 20:47

कुछ रचनाएं हमारे हृदय के अनंत स्थल तक पहुंचती हैं।
कुछ रचनाएं यूं ही सर के ऊपर से उड़ जाती हैं।
कुछ रचनाएं हमारे लिए प्रेरणा स्रोत बनती हैं।
कुछ रचनाएं हमारे हृदय परिवर्तन का कारण बनती हैं।

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19 DEC 2018 AT 2:05

सहज मन की, यही अभिलाषा
तुमसे है मेरी जीवन की आशा।
सुख के पल हो, या दुख की बाधा
तुम्हें देखकर ही मुझे धैर्य आता।






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4 AUG 2018 AT 2:09

Is necessary....
To polish a beautiful moon.
To twirl the stars
To shine the firefly
To talk to the newlywed
To laugh celebrate happiness
To shed tears in someone's memories.

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4 AUG 2018 AT 1:23

This is very hardest moment.
What is life
Why did we come to this world
And why do we meet the wrong people?
& these thoughts do not sleep

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10 JAN 2022 AT 0:26

एक कर में केतु दूजे में कृपाण
वेग इतना कि थर थर कांपते पहाड़।

आतुर है सेना करने दुष्टों का संहार
विकराल रूप देख के भाग जाए काल।

चंडी सदृश लक्ष्मीबाई भरती हुंकार
शत्रु के छूटते पसीने सुनकर के ललकार।

लाज बचाने भारत की मृत्यु भी स्वीकार
धन्य धन्य हे वीरांगना है तुम्हारा आभार।

केतु:- पताका/ध्वज

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1 JAN 2022 AT 0:37

सदियों से प्रेम रहा है तो घृणा भी संग चलता आया,
त्याग, समर्पण, शौर्य के देश में स्वार्थ भी पलता आया।
महज छोटी-छोटी गाथाएं हैं, पर हैं विशिष्ट बड़ी,
सीख सको तो सीख लो हर तरफ़ है इतिहास पड़ी।
किसी ने जग जीता तो हर दिल में जगह बनाया,
किसी ने जग जीता पर अपनों का खून बहाया।
कोई कर गया जहां को रौशन जो जग में आज मिसाल हैं,
यह जग नहीं जीवन छोटा पर दुनिया बड़ी विशाल है।



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31 DEC 2021 AT 23:30

इतिहास बताता है कितने आए कितने उजड़ गए;
हम क्या हस्ती हैं जो बचे रहेंगे।

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25 DEC 2021 AT 14:37

ग़म में 'अपनी' सुध नहीं ये जहां क्या दिखाई देगा।
हर तरफ़ तीरगी हो तो मुमकिन है कुछ दिखाई देगा।।
तीरगी:- अंधेरा

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