बचपन मे अगर कोई
हमारा सेहभागी ,
हमारी किसी भी चीज़ मे , कोई
एक दम छोटी सी भी कमी निकाल देता था ना
तो जिद्द हो जाती थी
की , मेरी इस चीज़ को इसने ऐसा कैसे बोल दिया
मतलब कि , अब तो मैं कल
बिल्कुल नई कॉपी या कलम , जो भी होता था
बिल्कुल नई हि लेकर जाउंगी
तो , क्या है ना कि
आपका जो मेहबूब है ना , उसको लेकर भी कुछ ऐसा हि होता है ।
चाहे वो जितना भी अच्छा हो , आपसे जितना भी प्यार करें , पर
किसी कि कही एक बात पर आप सोचने पर मजबूर हो जाते हो , क्यूँकि दिमाग मे है ये बचपना ।
इसीलिए तो कहते है
आपका मेहबूब , आपका वो हीरा है
जिसे अगर दुनिया को दिखाओगे
तो नज़र तो लगेगी हि ।।
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