काश इस रात की सुबह न होती !
ये सिलवटें सिमट कर यूँही मेरे पास रह जातीं
इस एकान्त का शोर इसी अंधेरे में कहीं दफ्न हो जाती
काश इस रात की कोई सुबह न होती!
आंखों के ये सैलाब आज यहीं उकठ जाते
हिय विचारों के भँवर को निर्वाण मिल जाता
काश इस रात की अब कोई सुबह न होती!!-
Wild spirit, soft heart ,sweet soul!😊
Just growing with the flow..😌
Be in present ... read more
कोई मुझे भी दुलार करे, अच्छा लगता हैI
मेरे बचकानी हरकतों से प्यार करे, अच्छा लगता हैI
मेरे ज्यादा बोलने पर परेशान न हो ,
चुप रहने पर सवाल करे ,अच्छा लगता हैI
परेशान हो जाती हूँ मैं यू तो छोटी छोटी बातों पर,
हाथ पकड़ कर समझाए ,हाय!अच्छा लगता हैI
डरती नहीं उड़ने से मैं ,
पर अगर जो कह दे मैं सम्भाल लूँगा, हाय !अच्छा लगता हैI
कोई मुझे भी दुलार करे, अच्छा लगता हैI
मेरे बचकानी हरकतों से प्यार करे, अच्छा लगता हैI-
छोड़ दूँ,
इसीलिए
नखरे दिखाती है !
वो नखरे दिखाती है,
इसीलिये
मैं छोड़ नहीं पाता हूं।-
नया साल !
नयी उम्मीदें !
नयी रोशनी सी जल उठी है मन में !
थाम कर हाथ अपने सारे रस्तों का !
मुसाफ़िर बन यह साल भी बस चलते जाना है !
रोकने की कोशिश में,
आंधी तूफां तो आते रहेंगे !
पर हम कब तक इन में सर झुका कर यूँही खड़े रहेंगे !
लड़ेंगे ,
आगे बढ़ेंगे ,
और बढ़ते रहेंगे !
सबसे कदम मिला कर चलेंगे !
खुशी हो या गम !
सफलता हो या असफलता !
हम सब अपनाएंगे ,
और बढ़ते चलेंगे ,
नया साल नए जोश के साथ जिएंगे !-
इश्क में थे पागल,
समझ ना सके!
वो हमदर्दी जताते रहे,
हम इश्क समझ बैठे!
आंखें तो तब खुली,
जब हाल पूछा तो
"ये हक किसने दिया"
ये सवाल सुनने को मिला ।-
Don't impress someone to be their
First love.
Prepare yourself intended to be
Last!-
काश, तू थोड़ी देर और ठहर जाता !
तुझे एक बार फिर से आँख भर के देख लेते !
तेरी आवाज़ एक फिर से आंखें बंद करके सुन लेते !
बिना पलके उठाए पल पल का एहसास कर लेते !
वो रात वाली प्यार की थपकी एक बार और मिल जाती!
एक और रात हम सुकून की नींद सो लेते !
तुझे थोड़ी देर और रोक पाते !
क्या ऐसा हो नहीं सकता
कि थोड़ी देर और ठहर जाए?
थोड़ी देर तुझे और जी भर के देख लूँ?
तेरी आवाज और सुन लूँ?
क्यूँ ऐसा हो नहीं सकता?-
शिकायत का कोई मौका नहीं छोड़ा,
हर एक पन्ने के हर एक लाइन के हर शब्द तक पढ़े हैं !
वो बचा आखिरी पन्ना भी पढ़ लिया !
मैं अगर कहूँ तो
"चांद हो तुम" !
शुरुआत के पन्नों में जमीन से जैसा चांद दिखता है ,
वैसे हो तुम !
और आखिरी में जैसे चांद पर जाकर पत्थर देख लिए हों ,
वैसे हो तुम!
हाँ , सच है'
"चांद हो तुम"!-
बिन बोले इतनी बातें कैसे हो जाती हैं!
बिन सुने मन की कैसे की जाती है!
बिन मिले यादें कैसे ताजा हो जाती हैं!
उदास बैठी शामों में रौनक कैसे आ जाती है!
ख़ामोश सी रातें बोलने कैसे लग जाती है!
अब कुछ नया सा महसूस कर रहे है,
पर बिना कुछ हुए ये एहसास कैसे हो जाता है!
तू पास हो ना हो,
पास तू ही होता है !
क्या कहूँ मैं 'शब्द ही नहीं मिल रहे,
पर देखो तो बिन कहे सारी बातें समझ कैसे आ जाती हैं!-