Bahot kuch likhna tha mujhe
Magar byan kar saku dil ki baatein aise alfaz nahi milte-
एक वक्त के बाद पुरानी हो जाती हैं कहानियां
खो जाते हैं किरदार
धूल जम जाते हैं क़िताब के पन्नों पर
हर कोई भूल जाता है बस एक धुंधली सी कहीं याद बन कर रह जाता है सबकुछ
और फिर अनंत में खो जाता है सबकुछ-
दवा भी कहां तक असर करे जब ख़ुद कोई ठीक होना नही चाहता
कहां तक बचा पाएगा कोई जब ख़ुद कोई जिना नहीं चहता-
यूं तेरा गुमसुम सा होना बड़ा खल रहा है
जानती हूं तेरे मन में क्या चल रहा है
ये जिंदगी उलझने सुलझा लेंगे
रूठे किस्मत को मना लेंगे
ये जो वक्त है गुजर जायेग
थोडा सब्र से काम लो
आने वाला कल जिन्दगी का खूबसूरत पल लायेगा-
पल दो पल का साथ
पल दो पल की मुलाकातें हैं
फिर चले जाना है तुझे भी मुझे भी
सथ रहनी बस यादें हैं-
क्या कहूं कितने 🥺गम में जीना पड़ रहा है
चाय पसन्द है लेकीन🤧 काढ़ा पीना पड़ रहा है
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जाना इतना भी जरूरी नहीं है
तू कहे तो रुक जाऊंगी
मैं हो भी जाऊं कभी दूर सबसे
तेरे बुलाने पर लौट आऊंगी
तू कहे न कहे अपने दिल की बात
मैं बिन कहे तेरा साथ निभाऊंगी
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ये पल दो पल की मुलाकातें हैं
हैं राहें अलग अपनी, अलग है मंजिल की डगर कहीं
हम बस हमराह हैं तेरे हमसफ़र नहीं
आज मिले कल क्या पता कहां खो जायेंगे
हां मगर ये पल दो पल का साथ हमें
उम्र भर याद आयेंगे-