खुश हूं मैं ज़िंदगी में,,
पर इक अधूरी सी कहानी है
धड़कनों में दबी हुई सी कहीं ।।
जो टीस बन कर उठती है और छलक आती है
अक्सर आंखों के कोरों पे ।।
रिसता हुआ सा कुछ है दिल में,,
जो आ जाता है बाहर यूं ही,
बिन बात के बहता हुआ पलकों पर
कभी भी ,, कहीं भी....
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ਹਰ ਪੰਨਾ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦਾ, ਟੁੱਟੇ ਪੱਤੇ ਦੀ ਤਰਾਂ ਬਿ... read more
श्री राम सा पुत्र, और भ्राता,श्री राम सा पति और दाता
युगों युगों तक भी
श्री राम सा मर्यादित मानव या देव,कोई भी नजर नहीं आता।-
मेरी सदाओं में तुम
मेरी सुबह की पहली कहानी भी तुम
रातों का आखिरी किस्सा भी तुम
मेरी हर बात में तुम, मेरे जज़्बात में तुम
मेरी हंसी में तुम, मेरे अश्कों में तुम
बस जो नहीं हो कहीं तो
मेरे जीवन में तुम
कभी कभी लगता है ऐसा कि
"खुशी" की तुम्ही से इब्तिदा
और इसका अंजाम भी तुम-
जब चाहे चली आती हैं
बरसो बीत गए लेकिन
मेरा वक्त आज भी वहीं ठहरा है।
प्यार में जख्म जो दिया तूने
वो ज़ख्म बहुत ही गहरा है ।
सच है ये भी आखिर
यादों पर किसका पहरा है।-
वो पल याद आते है
जिन्हें लिखते लिखते
मेरे शब्द कम पड़ जाते हैं
जिनको याद करके आंख भीगे
तो आंसू भी कम पड़ जाते है।-
और आंखों को अश्कों से भर जाता है
दिन रात करते थे दीदार जिसका
अब उसकी एक झलक को
ये दिल तरस जाता है।
खो जाती हूं फिर से उन गलियों में
जब जब वो एक
चेहरा याद आता है...,-
जाने दे दिया जाता है उनको
हमेशा के लिए
जिनका एक पल को दूर होना
गवारा नहीं होता हमको।-