पिज्जा, बर्गर खाने वाली इस दूनियां में
मैं ठहरी मिट्टी की भाड़ में चाय की चुस्की लेने वाली l
-
नहीं पता क्या लिखूं कि तुम कौन हो,
हाँ...!
बस इतना कह सकती हूं
जैसे रेगिस्तान में किसी प्यासे को मिले पानी के समान हो तुम,
समंदर की गहराई में खोए किसी किनारे के समान जो तुम,
मेरी प्रेरणा का एक स्त्रोत हो तुम....❤️
-
सुनो प्रिय!
तुम साथ रहो या न रहो
परंतु
तुम थे, तुम हो और तुम रहोगे...❤️-
प्रेम के अंत में क्या रह जाता हैं ?
अंत में बस याद रह जाती है,
अंत में बस दर्द रह जाती है
अंत में बस दुःख, बेचैनी, पीड़ा,
आशु के कण रह जाते हैं
और अंत में बस टूटें हुए शीशे की तरह प्रेम रह जाता है,
हाँ प्रेम कभी खत्म नहीं होता बस वो हृदय के किसी कोने में चिप कर रह जाती है l
– खुशबू-
दुःख तो सिर्फ़ इस बात की है
जो जगह मुझे तुम्हारे दिल में
कब का बना लेना चाहिए था
वो जगह शायद मैं अब तक ना बना सकी-
एक एहसास हैं
जो तुमसे मिलने के बाद मुझे हुआ
प्रेम बंधन नहीं
एक प्यास हैं
जो तुम्हें देखने के बाद मुझे हुआ
प्रेम एक विश्वास है
जो तुमसे दूर होते हुआ भी मुझे हुआ-
आज आन मिलों तुम
मेरे खुले केसों से खेलने
मेरी अदा के दीवाने
मेरे होठो की लाली और
मेरी कानो की बाली
सिर्फ़ तुमसे हैं
क्योंकि मेरी आशिकी सिर्फ़ तुम से हैं l-
कान्हा कान्हा रटटे रटटे बीती रे उमरिया
कब आओगे तुम जोगन की नगरीया
राह देखती तुम्हारी ये जोगनिया l
-
बेशक सारी फरियादों को,
ख्वाहिशो को,
खुशी की सारी ज़ज्बातो को
मगर दे दो थोड़ा सा समय
हमरी कहानी पूरी करने को ll
-