Khushboo Singh   (खुशबू)
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जय श्री राम
Joined 18 May 2020


जय श्री राम
Joined 18 May 2020
3 JUN 2024 AT 0:15

पिज्जा, बर्गर खाने वाली इस दूनियां में
मैं ठहरी मिट्टी की भाड़ में चाय की चुस्की लेने वाली l

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18 MAR 2024 AT 22:46

एक सच कहूं...
शायद हम दोस्त ही सही थे न?

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11 MAR 2024 AT 22:11

नहीं पता क्या लिखूं कि तुम कौन हो,
हाँ...!
बस इतना कह सकती हूं
जैसे रेगिस्तान में किसी प्यासे को मिले पानी के समान हो तुम,
समंदर की गहराई में खोए किसी किनारे के समान जो तुम,
मेरी प्रेरणा का एक स्त्रोत हो तुम....❤️

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11 OCT 2023 AT 22:02

सुनो प्रिय!
तुम साथ रहो या न रहो
परंतु
तुम थे, तुम हो और तुम रहोगे...❤️

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9 OCT 2023 AT 13:10

प्रेम के अंत में क्या रह जाता हैं ?
अंत में बस याद रह जाती है,
अंत में बस दर्द रह जाती है
अंत में बस दुःख, बेचैनी, पीड़ा,
आशु के कण रह जाते हैं
और अंत में बस टूटें हुए शीशे की तरह प्रेम रह जाता है,
हाँ प्रेम कभी खत्म नहीं होता बस वो हृदय के किसी कोने में चिप कर रह जाती है l


– खुशबू

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1 NOV 2020 AT 22:13

दुःख तो सिर्फ़ इस बात की है
जो जगह मुझे तुम्हारे दिल में
कब का बना लेना चाहिए था
वो जगह शायद मैं अब तक ना बना सकी

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23 OCT 2020 AT 13:17


एक एहसास हैं
जो तुमसे मिलने के बाद मुझे हुआ
प्रेम बंधन नहीं
एक प्यास हैं
जो तुम्हें देखने के बाद मुझे हुआ
प्रेम एक विश्वास है
जो तुमसे दूर होते हुआ भी मुझे हुआ

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16 OCT 2020 AT 15:17

आज आन मिलों तुम
मेरे खुले केसों से खेलने
मेरी अदा के दीवाने
मेरे होठो की लाली और
मेरी कानो की बाली
सिर्फ़ तुमसे हैं
क्योंकि मेरी आशिकी सिर्फ़ तुम से हैं l

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3 SEP 2020 AT 12:00

कान्हा कान्हा रटटे रटटे बीती रे उमरिया
कब आओगे तुम जोगन की नगरीया
राह देखती तुम्हारी ये जोगनिया l

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8 AUG 2020 AT 13:20


बेशक सारी फरियादों को,
ख्वाहिशो को,
खुशी की सारी ज़ज्बातो को
मगर दे दो थोड़ा सा समय
हमरी कहानी पूरी करने को ll

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