एक "लड़की" को तमीज, तहजीब ,लाज,शर्म ,त्याग और ज्ञान देने का संघर्ष तुम चाहो उतना करना।
पर एक "बेटी" को उसके 'अधिकार' और 'हक़' बताने की जुर्रत कभी मत करना।
एक 'बेटी' द्वारा जनहित में जारी।-
ख्वाहिशों को ज़रा आजाद रखना ...
' ज़िन्दगी ' थोड़ी संभल जाएगी ।
हिम्मत को थोड़ा और बुलंद रखना...
' आजमाइशें ' भी जल्द गुजर जाएगी ।-
कोई है जो दूरियों में तड़पता है ..
कोई है जो साथ रहके भी प्यार को तरसता है ...
कोई है जो परेशान मंजिल की राह में है ...
कोई है जो बस ज़िन्दगी में ठहराव की चाह में है ..
बस यही एक तर्क है ..
जीवन एक संघर्ष है ...
कोई है जो कुछ पाने को हर दिन मरता है ..
कोई है जो सबकुछ पाके भी टुकड़ों में चलता है ..
कोई है जो ज़िन्दगी के सफर में खुशियों कों ढूंढता है ..
कोई है जो खुशियों मै भी खुदसे ज़िन्दगी का मतलब पूछता है .
बस यही एक तर्क है ..
जीवन एक संघर्ष है ...
कोई है जो सिर्फ दूसरों के लिए जीता है ...
कोई है जो गम को पानी की तरह पीता है ..
कोई है जो हकीकत को हर दिन रोता है...
कोई है जो हकीकत से भागने के लिए ही सोता है ...
बस यही एक तर्क है ..
जीवन एक संघर्ष है ..
शिकायतें यहां , ना जाने कितनी दर्ज़ है...
ज़िन्दगी का दूसरा नाम ही ' फर्ज ' है ...
इसलिए जीवन एक ' संघर्ष ' है..-
कुछ पूरे पूरे ख्वाब सा लगता है ...
कभी अधूरे जज्बात सा लगता है।
ये है मेरी खुशियों का रंग ...
अधूरे में भी दिखता इसमें पुरापन ।-
कुछ बातें, हम तो बस सुनते है ....
कुछ लोग, उसमें हर दिन जीते है ....
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कोई है जो दूरियों मै भी ' पूरा ' है ...
कोई है जो चार दीवारों में साथ होके भी 'अधुरा' है ...-
साल बिता...जैसे बीती हो एक शाम...
इस शाम ने मुझे मुझसे मिलाया कई बार....-
लोग इतने मुझे यहां दिखते नहीं ...
जितनी दिखती अनकही कहानियां...-
उम्र ज्यादा है नहीं ...
तजुर्बा भी कुछ खास नहीं ..
पर परिस्थितियों से इतना सीखा है..
कभी कभी हमें 'समझाने ' वाले मुंह की नहीं...
पर ' समझने 'के लिए सुनने वाले कानों की जरूरत होती है...-
सब कुछ पूरा है ...
पर मुझे कुछ अधुरा सा लगता है ..
मानो पूनम की रात है ...
पर मुझे अंधेरा सा लगता है...-