Khushboo Prajapat   (@KhushbooPraj00)
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स्वस्मै स्वल्पं समाजाय सर्वस्वं।
Joined 17 May 2020


स्वस्मै स्वल्पं समाजाय सर्वस्वं।
Joined 17 May 2020
2 OCT 2021 AT 19:10

कुछ पल अपने साथ के,जो मुझे सुनहरे लगते हैं,
सिर्फ़ वक्त की पाबंदियों को,
छोड़कर उन पलों को जी रही हूं।
मिलने की इच्छा तो इस बैचेन मन को भी होती है,
पर ये दूरियां है,कभी थमने का नाम भी नहीं लेती।
रही बात लफ़्ज़ों की,तो पूछा मैंने इन वादियों से,
पर वो तो एक शब्द नहीं बोलीं...

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5 SEP 2021 AT 10:30

शायद इसलिए शायरी इतनी ख़ूबसूरत होती है,
कभी सच छुपा लेती है , तो कभी शख़्स...

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23 JUL 2021 AT 21:01


हमारा वह वक्त जाया नहीं होता,
जिस वक्त हम दूसरों की खुशी की वज़ह बनते हैं!

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22 JUL 2021 AT 12:09

बेनाम-सा रिश्ता भी कितना अजीब होता है,
मिल जाये तो बातें लंबी और बिछड़ जायें तो यादें लंबी...

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8 JUL 2021 AT 13:46

अहंकार भी आवश्यक है...
जब बात अधिकार, चरित्र और मान की हो!

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8 JUL 2021 AT 13:38

खुबसूरत होना जरूरी नहीं,
पर किसी की जिन्दगी में जरूरी होना...
बहुत खुबसूरत है!

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19 JUN 2021 AT 10:45

जो भागता नहीं उड़ता है ,आसमान में ,
देखा है, हमने उसको जीतते संसार को ,
जो हार को भी जीत कर दे जानती हूं ,
मैं उस सरदार को...
#RIPFlyingSikh🙏

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18 JUN 2021 AT 12:05

हुनर नहीं बस नवाज़ा है खुदा ने,
लिखती हूँ ख्याल अपने यूँ ही बैठे-बैठे|

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17 JUN 2021 AT 10:08

मैंने देखे हैं कई रंग वफ़ा के मगर,
कोई न मिला मोहब्बत के काबिल मुझे!🤭🥴

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13 JUN 2021 AT 21:02

हर दिन वही चेहरा लिए कैसे मिलूँ तुझसे,
मैं हालात हूँ. मुझे बदलना पसंद है !

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