ऐ जाने वाले तुझे गर जाना ही था , तो
यूं महीनों तूने दिल क्यों लगाया, बेरहम-
मेरे अपनो का मैं सब कुछ हूँ.....
कृपया followback की आशा से f... read more
वो बैठी रही घंटों अकेले
गुम स्वयं में चुपचाप सी
ना जाने क्यों मगर
शोर बहुत सुनाई दे रहा था
आसपास उसके
जैसे वो चीख रही हो
अंदर ही अंदर-
Dear july
तुम बरसना और खूब बरसना
किसी की बातों में बिल्कुल ना आना
लोगों को आदत है समय के हिसाब से
अपना काम निकलवाना-
मैं अपने साम्राज्य की महारानी
करती बस खुद की मनमानी
ना सिखाओ मुझे सही गलत
मैं करूंगी वहीं जो है मैंने ठानी
ज्ञानियों को मेरा दूर से प्रणाम
सबके मन की बात मैंने खूब पहचानी-
चल रही हुं मैं और चलती जा रही हुं
मैं हर दिन बस सवरंती जा रही हुं
शांत सी चुपचाप सी मंद मंद है गति मेरी
मैं मौसम संग बदलती जा रही हुं
एक दिन तो रुकेगी बारिश इम्तिहानों की
मैं बस इसी स्वप्न में जिए जा रही हुं
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बिखेर दी मैंने अपनी सारी पंखुड़ियां
फैला दी खुशबू दूर गगन तक
रखा ना कतरा भी पास मेरे
मैं टूटा हुआ गुलाब तेरी बगिया का-
जिस तरह भरे हुए में थोड़ी जगह है
जिस तरह हम में थोड़ी खुशी है
और जिस तरह तपिश में भी नमी है
हां उसी तरह तुम्हारे होते हुए भी कुछ कमी है-
जब हमसफ़र कोई साथ होगा
मुश्किलों का आना तो तय है
मरहम मगर हमदर्द होगा-