धागा कहूं या मैं.. बंधी ही रहती हूं..
कभी खुद में.. कभी तुम में
धागा कहूं या रस्म.. बंधी ही रहती हूं..
कभी लाल से.. कभी काले से
धागा दे दो एक और..
बांध सके जो मेरी संवेदनाओं को,
चाह को,
सम्मान को...
फिर कहो उसे धागा मर्यादा का..
धागा कहूं या मैं.. बंधी ही रहती हूं..
कभी खुद में.. कभी तुम में
धागा वो मेरी जूती में सिल देना..
रोक सके जो मेरी राह को,
मंज़िल को,
ख्वाब की हवेली को...
बोलो बनाओगे ऐसा धागा..
धागा कहूं या मैं.. बंधी ही रहती हूं..
कभी खुद में.. कभी तुम में
वैसे है बहुत सस्ता..
हर घर... हर गली में
यूं हीं मिल जाता...
तुम्हारे आत्म सम्मान का धागा..
मेरी आहुति का धागा...
धागा कहूं या मैं.. बंधी ही रहती हूं..
कभी खुद में.. कभी तुम में
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Khushboo Chhabaria
(Dr. Khushboo chhabaria)
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Dental Surgeon by profession...
Yoga trainer...
Art &
Music lover...oldies ❤❤❤
Social Worker.... read more
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Joined 21 December 2016
28 FEB 2017 AT 11:33
29 DEC 2016 AT 23:08
सोच रही हूं ...
वो अपनी खुदगर्जियों के साथ आईने में कैसा दिखता होगा…
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27 DEC 2016 AT 17:39
हमें तो फूलों से मोहब्बत हुई,
पर एक दिन मुरझा गये,
और चले गये...
फिर कांटो से दोस्ती हुई,
चुभते जरुर हैं,
मगर ना तो मुरझाते हैं
ना छोड के जाते हैं...-
27 DEC 2016 AT 11:22
Hate me - As much As U Can...
I will Love - As much As I Can...
Because...
My Religion is To Be Kind...-
26 DEC 2016 AT 22:14
मैं, मेरा, मुझको, मेरे लिये, बहुत मशहूर है...
कभी दिल लगाने के लिये,
कभी दिल दुखाने के लिये...-
26 DEC 2016 AT 19:27
हम इसलिये नहीं रोते,
कि तेरे जाने का गम है...
बस हर बार कम्बख्त,
तेरी बेरुखी याद आ जाती है...-
25 DEC 2016 AT 17:33
तमन्ना- ए- दिल/
मना ले वो मुझे/
फिर अपनी आगोश के लिए/
वहीं, जहां मैं शुरु हुई/
और खतम भी...-
25 DEC 2016 AT 17:21
उसकी थोडी सी बेवफाई का क्या हिसाब करुं।
मेरी न जाने कितनी नाराजियां वो नज़रंदाज कर गया।।-