khush .  
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Joined 10 July 2019


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Joined 10 July 2019
24 APR AT 22:23

मैं फिर से खिल जाऊंगा फूलों की तरह,
एक बार प्यार से आवाज़ लगा कर देखो।
मैं फिर से नजर आऊंगा पहले की तरह,
तुम भी पहले सा एक बार मुस्कुरा कर देखो।

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8 APR AT 18:49

शाम का वक्त,
सब लौट रहे, थके मांदे,
अपने घरों ठिकानों को।
फिर लौटेंगे सुबह,
रात भर थोड़ा सा आराम करने के बाद,
फिर से शाम को थक कर लौटने को।

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3 APR AT 10:05

मन साफ रखना,
मिलेगी मंजिल जरुर एक दिन,
कर्म करते रहना,
मन साफ रखना।

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2 APR AT 5:41

ना चाहते हुऐ भी तुझी को सोचता हुं मैं,
इस कदर से समाया हुआ है तू मुझमें।

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1 APR AT 23:49

कुछ पाने की कोशिश में,
क्या कुछ हमने नहीं छोड़ा।
हम छोड़ आए घर-बार अपना,
और छोड़ आए बचपन सारा।

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1 APR AT 6:33

फूल कर सरसों खेतों में झड़ रहे होंगे,
आम के पेड़ों पे बौर लग रहे होंगे।
कोयले गा - गा कर मधुर गीत,
फिज़ा को संगीत से भर रहे होंगे।
खेतों में चने, मटर, रहर के फसल,
पक पक के फिर से झड़ रहे होंगे।
बसंत फिर से गांव में आया होगा,
मगर इस बार भी हम गांव में नहीं होंगे।
कभी होंगे हम भी गांव में बसंत के साथ,
मेरे जैसे कितने लोग ये सोचते होंगे।
छोड़ कर आएं हैं जो घर, दूर कमाने के लिए,
बैठ कर शहरों में ये ख़्वाब देखते होंगे।

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1 APR AT 5:27

वो कर रहें हैं खुद को मसरूफ़ कहीं और,
अब उनको हमारी याद दिलाना फिजूल है।
हम भी कर रहे हैं याद, दिल ही दिल में उनको,
हर बार बोल कर जताना, खिलाफ़ - ए- उसूल है।

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31 MAR AT 19:20

तुमने देखा है मुझे खुश होते हर महफ़िल में,
तुमने रातों की वो तन्हाई नहीं देखी है।
तुमने देखा है मुझे हंसते हुए लोगों में,
तुमने आंखो की वो बरसात नहीं देखी है।

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31 MAR AT 4:47

खिलौने हों या हों इंसान,
जब मन करता है खेल लिए ,
फिर फेंक दिया करते हैं लोग,
पुराने को किसी नए के लिए।

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29 MAR AT 18:17

सोचता हूं तुझसे दूर रहकर ज़िंदगी गुज़ार दूं,
और आलम ये है कि दूर रहा भी नहीं जाता।
जानबूझ कर कतराता हूं, तूझसे बात करने को,
और ये दिल है कि इससे इतना भी नहीं हो पाता।

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