ढूँड उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें
अहमद फराज़-
4 SEP 2022 AT 17:08
27 DEC 2021 AT 18:01
उसके होंठों पे कभी बद्दुआ नहीं होती।
बस इक माँ है जो मुझसे कभी खफा नहीं होती।।-
9 AUG 2021 AT 17:11
ये महलों ये तख्तों ये ताजों की दुनिया।
ये इंसान के दुश्मन समाजों की दुनिया।
ये दौलत के भूखे रिवाजों की दुनिया।
ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या।।
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21 MAY 2021 AT 10:33
अव्वल दर्जे का जिद्दी हूँ मैं
न चाय छोड़ूंगा न ही तेरी हसरत।
😊
International Tea Day-
31 DEC 2020 AT 17:04
बूढ़ा दिसम्बर जवां जनवरी के कदमो में बिछ रहा है.।
लो इक्कीसवीं सदी को तेइसवां साल लग रहा है..।।-
6 DEC 2020 AT 14:24