सरस्वती वन्दना
मैया तेरे राज में,सुधरे सारे काज।
जड़मति बने सुजान जो,फैले ज्ञान प्रकाश।।
भाषण देता मूक है,जड़मति लिखता वेद।
माँ के आशीर्वाद से,मिट जाते सब खेद।।
माँ तू जीवन दायनी, दे ऐसा वरदान।
अपयश से हों दूर सब,मिलता रहे सम्मान।।
जय जय जय माँ शारदे,सुन सुत की अरदास।
मैं पापी अति मूढ़ मति,उर में करो निवास।।
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मेरा गाँव(विधा-दोहा)
मोर भुजंग में मित्रता, सूरज देता छाँव।
बहता प्रेम सलिल सरस,ऐसा मेरा गाँव।।
प्रेम राग से गूँजता, पनघट जो दिनरात।
पनिहारिन पानी भरे, करती मीठी बात।।
मोती से हैं स्वेद कण,सजते जिनसे खेत।
कण कण में है सादगी,सोने सी है रेत।।
सजते हैं हर कण्ठ में,मानवता के गीत।
पर पीड़ा निज मानते,यही गाँव की रीत।।
नदी है दही दूध की,माखन के भी ठाठ।
घर घर में गोपाल है,गाँव गंग का घाट।।
आभा स्वर्णिमभोर की,पाटल वर्णी शाम।
चमक चाँदनी रात हैं,गाँव सुमिर हर याम।।
मलयज शीतल वायु बहे, हँसे पलाश के फूल।
स्वर्ग धरा पर है यही ,गाँव सुखों का मूल।।
फागुन आया प्रेम का,बरसे रंग गुलाल।
गाँव पधारो सजन तुम,है सजनी बेहाल।।
खेमचन्द शर्मा"उदास"7426937801
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स्वीकार करो
भारत के वीर सिपाही हो,हुँकार भरो हुँकार भरो।
बिजली है भुजदंडों में,स्वीकार करो स्वीकार करो।।
हम वेद पुराण के उद्घोषक,हम दूत प्रेम के कहलाते।
हम गौतम के अनुयायी हैं,हम सत्य मार्ग को अपनाते।
दी स्वाभिमान को चोट यदि,फिर मरने को तैयार रहो
विद्युत है भुजदंडों में,स्वीकार करो स्वीकार करो-----
हम करुणा के वाहक हैं,ये अखिल विश्व को बतलाते।
हम प्रेम डगर चलते चलते,जो विष का प्याला पी जाते।
सहनशक्ति कोई ललकारे,मिलकर सब प्रतिकार करो।
विद्युत् है भुजदंडों में, स्वीकार करो स्वीकार करो--
बलिदानों की धरा हमारी,सुबक सुबक कर रोती है।
छिपे देश में जयचन्दों से,स्वर्णिम आभा खोती है।
बिल से बाहर लाकर इनपर,वार करो तुम वार करो।
विद्युत् है भुजदंडों में, स्वीकार करो स्वीकार करो--
हिन्दुस्ता है हृदय हमारा, हर धड़कन कश्मीर है।
गीदड़ दिखलाता है आँखे,पर्वत सी अब पीर है।
वीर न अब तुम धीर धरो,यलगार करो यलगार करो।
विद्युत् है भुजदंडों में, स्वीकार करो स्वीकार करो।--
श्वेत लबादा ओढ़ भेड़िये, प्रजातंत्र को नोंच रहे।
कैसे खाएं देश को हम, मिलकर संसद में सोच रहे।
मूल्य समझकर अपने मत का,लोकतंत्र साकार करो।
विद्युत् है भुजदंडों में,स्वीकार करो स्वीकार करो।--
खेमचन्द"उदास"
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हाथ में जो जाम है,बेवफाई आपकी।
इश्क़ का ईनाम है,बेवफाई आपकी।।
भूल से भी ख़्वाब में दिखती नही।
मयकदे के नाम है,बेवफ़ाई आपकी।।
धीरे धीरे बिक रहा हूँ ,इश्क के बाज़ार में।
मेरी मौत का पैगाम है,बेवफ़ाई आपकी।।
हो नही पहले सितमगर, आप क़ू ए यार में
ये फ़लसफ़ा अब आम है, बेवफ़ाई आपकी।।
डर रहा हूँ देख कर इश्क़ का अन्जाम जो।
मेरा आईना बदनाम है,बेवफ़ाई आपकी।।
खेम"उदास"7426937801
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सरस्वती नमस्तुभ्यं
माँ करते नमन तुमको ,चरणों में जगह देना।
हो करुणा की गंगा ,मेरे पाप सकल हरना।
मैं मूढ़ मति पातक, सन्मार्ग का ज्ञान नही,
तुम मात पिता मेरे ,मुझे जग का ध्यान नही।
निज गोद में धर अपने, मुझे अपना बना लेना।
माँ करते नमन तुमको,चरणों में जगह देना।-------
अज्ञान तिमिर गहरा,माँ आके मिटा जाओ।
कालुष्य भरा मन है,माँ जोत जगा जाओ।
तुम ज्ञान के अमृत में,मुझको नहला देना।
माँ करते नमन तुमको,चरणों में जगह देना।------
वेदों का सार भी तुम, तुम छन्द का होआकर ।
माँ तुझ में समाहित है,वो ज्ञान का रत्नाकर।
दे अभय दान माते, जीना सिखला देना।
माँ करते नमन तुमको चरणों में जगह देना-----
माँ दूर क्षितिज मंजिल,बस तेरा सहारा है।
मेरी जीवन नोका का,बस तू ही किनारा है।
नोका जीवन की माँ, तुम पार लगा देना।
माँ करते नमन तुमको चरणों में जगह देना--------
खेम---7426937801,पाली
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नही देता
वो जो मेरे सवालों का जवाब नही देता।
मेरी भीगी पलकों को ख़्वाब नही देता।।
जाता हूँ रोज़ मयकदे की ओर आजकल।
वो देता है पैमाना मगर शराब नही देता।।
रात के अंधेरे तो मिटे हैं जुगनुओं के रहम से।
वो स्याह सहर के लिए आफ़ताब नही देता।।
बाकी है रिवाजे इश्क का वो सबक़ पढ़ना ।
मग़र वो इल्म ए इश्क़ की किताब नही देता।।
है मंजूर उसे मेरा सिसकियों का शिकार होना।
वो क्यों मेरे दिल में फिर इंकलाब नही देता।।
चाहतें जो मेरी बेगैरत होकर गुज़री क़ू ए यार से।
चाहकर भी मेरी चाहतों को वो आदाब नही देता।।
सुना है "उदास "ये दुनिया है सूरत की दीवानी ।
यहाँ वो सीरत का अब कोई हिसाब नही देता।।
खेम-- 7426937801,
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देखे हैं क्या
तुमने मेरे वो अपने कहीं देखे हैं क्या।
खो गए मेरे वो सपने कही देखे हैं क्या।।
गुज़रती रही नदियाँ जो किनारे किनारे।
तुमने साग़र सिसकते कहीँ देखे हैं क्या।।
अब नही खुलती है जो नींदे अचानक मेरी।
तुमने मेरे टूटते वो सपने कहीं देखे हैं क्या।।
तल्खियाँ तजुर्बे की वो खागई बचपन यारो।
तुमने सितारे लपकते बच्चे कहीँ देखे हैं क्या।।
रहा करते थे जो शज़र झूलों से आबाद कभी।
तुमने शज़र सावन में सजते कहीं देखे हैं क्या।।
था वादा की गैर की वो होगी नही हरगिज़ यारों।
तुमने वो गोरे हाथ हीना से रचे कहीँ देखे है क्या।।
फ़ितरत है "उदास" की बेतुके कलाम कहना यारो।
तुमने बिना बहर के शायर सस्ते कहीँ देखे है क्या।।
खेमचन्द शर्मा"उदास"7426937801 जयपुर
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ख़ामोश
मेरी खामोशियों को तुम ,जरा ख़ामोश रहने दो।
कि हूँ मदहोश अरसे से , मुझे मदहोश रहने दो।।
पलटना तुम नही पन्ने , क़िताब ए जीस्त के मेरे।
मेरे ज़ख्मो की चीखों में ,जरा सा जोश रहने दो।।
तजुर्बे ने किया जो कत्ल ,मुझको होश आने पर।
अनाड़ी हूँ जो मैं अच्छा ,मुझे बेहोश रहने दो।।
चटकता आईना सा हूँ,बिख़र जाऊँ जो किस्मत है।
ज़ख्मी हो नही दामन,छुपा आग़ोश रहने दो।।
बने हैं दोस्त मयख़ाने शहर के अब मेरे सारे।
पिलाकर जाम फिर मुझको,वो बला-नोश रहने दो।।
मुहब्बत ने भरा दामन फकत काँटों से जो यारो।
बना मुश्किल से जो गुलशन,उसे गुलपोश रहने दो।।
जीस्त-जिंदगी, बला नोश-- शराबी,गुलपोश-coverd by flowers,,
खेम"उदास"07426937801 जयपुर
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चला जाता है
कोई है जो छूकर चला जाता है।
ग़म मेरे वो पीकर चला जाता है।।
ठहरता सा नही लगता वो फिर भी।
मुझमे ख़ुद को जीकर चला जाता है।।
छोड़े थे ज़ख्म नुमायश में मैंने मगर।
वो ज़ख्म सारे सींकर चला जाता है।।
महका करता है मकाँ उसकी खुश्बु से।
वो निशाँ अपने छोड़कर चला जाता है।।
ज़ाहिर नही फ़िर भी वो जहीर है मेरा।
बेवक़्त वो गले लगाकर चला जाता है।।
नही है सलीका उसे मिलने मिलाने का ।
वो मिलाके नज़र क्यों हँसकर चला जाता है।।
मुरशिद-ए-बर-हक़ "उदास" है तेरा फिर ।
तू क्यों उससे छुपकर चला जाता है।।
खेम
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💐💐 बेटियाँ💐💐
शहनाईयों के शोर से डरती है बेटियाँ।
फेरों की आग से जो ये जलती हैं बेटियाँ।
बाबुल की प्यारी बुलबुले होती हैं बेटियाँ।
बाबुल के हर इक दर्द पे रोती हैं बेटियाँ।।
मासूस सा अहसास है ये प्यार का मगर।
क्यों नफरतों की भेंट ये चढ़ती हैं बेटियाँ।।
रहमतें ख़ुदा की है ज़मी पे रु ब रु।
मस्ज़िद में ये अज़ान सी लगती हैं बेटियाँ।।
थाम के दिलों को हम जो देखते डगर।
बनके नदी ये प्यार की बहती हैं बेटियाँ।।
अब्सार में आती है चमक देख कर इनको।
आँगन में गुलाबों सी जब खिलती है बेटियाँ।।
खेम"उदास"
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