अपने मन की मुश्किल से भागता रहा मैं..बाक़ी सबका सामना करता रहा मैं… -
अपने मन की मुश्किल से भागता रहा मैं..बाक़ी सबका सामना करता रहा मैं…
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हाँ ….वक़्त तो बदला है…कुछ मुझमें …कुछ तुझमें…कुछ तो बदला है… -
हाँ ….वक़्त तो बदला है…कुछ मुझमें …कुछ तुझमें…कुछ तो बदला है…
सबको अपना सुख दिख रहा हैजिसमें हर रिश्ता पीस रहा है…. -
सबको अपना सुख दिख रहा हैजिसमें हर रिश्ता पीस रहा है….
कलियुग की ज़रूरत ये नहीं जो हम बनते जा रहे है… -
कलियुग की ज़रूरत ये नहीं जो हम बनते जा रहे है…
अपनो के बीच अकेलेपन का अहसास दूर होता गया…सुबह तो हुई हर रोज़ पर उस रोशनी में कुछ गुम होता गया… -
अपनो के बीच अकेलेपन का अहसास दूर होता गया…सुबह तो हुई हर रोज़ पर उस रोशनी में कुछ गुम होता गया…
वक़्त का क़सूर नहीं मेरी क़िस्मत को कोई और चाहिए था…देखे थे सूखे पत्ते दूर से …कैसे चुबेगे उस दर्द का एहसास चाहिए था… -
वक़्त का क़सूर नहीं मेरी क़िस्मत को कोई और चाहिए था…देखे थे सूखे पत्ते दूर से …कैसे चुबेगे उस दर्द का एहसास चाहिए था…
शिकायत है अपनो से…नाराज़गी है अपनो से…वक़्त के साथ धुंधले होते जा रहे है रिश्ते..दूरी गैरो से नहीं दूरी है अपनो से… -
शिकायत है अपनो से…नाराज़गी है अपनो से…वक़्त के साथ धुंधले होते जा रहे है रिश्ते..दूरी गैरो से नहीं दूरी है अपनो से…
ज़िंदगी का मक़सद क्या है ये जान सका ना कोई…ज़िंदगी चाहती क्या है ये पहचान सका ना कोई…शिकवा करे किससे जब अपना ही नहीं कोई…पास है मज़िल पर बोहोत दूर खड़ा है कोई… -
ज़िंदगी का मक़सद क्या है ये जान सका ना कोई…ज़िंदगी चाहती क्या है ये पहचान सका ना कोई…शिकवा करे किससे जब अपना ही नहीं कोई…पास है मज़िल पर बोहोत दूर खड़ा है कोई…
सो कैसे जाते है लोग…दूसरो का सुख लेकर… -
सो कैसे जाते है लोग…दूसरो का सुख लेकर…