जहाँ भिन्न भिन्न भेष,
देता जो वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश,
ऐसा मेरा देश,
जहाँ चले मन नदियों संग,
झरने छेड़ते सूर–तरंग,
ऐसा मेरा देश,
आगोश में रहे जिसके अनेको संत,
दिलों में लोगों के करुणा अनंत,
ऐसा मेरा देश,
चाहे हो सरहद या विपत्ति से जंग,
ऊंचा रहे हमेशा तिरंग,
ऐसा मेरा देश,
संस्कृति में जिसकी माँ धरती–नदी–गाय,
पिता पालनहार भगवान साक्षात,
ऐसा मेरा देश,
मेरा हर दिन शुभ जहाँ,
बसेरा करता है मेरा मन वहाँ,
मान है मुझे जहाँ की मिट्टी चूमने का,
हाँ गर्व से कहता हुं मैं,
मेरी मिट्टी मेरा देश,
ऐसा मेरा देश,
हांं, ऐसा मेरा देश।
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