Happy teachers day
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Kya koi pyar karega mujhase bhi jindagi
Koi dost ho... read more
“तवायफ– ए– ज़िंदगी"
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कीमत अदा कर बाजारें तो तमाम मिलती है
बस एक दिल नही मिलता जिस्म की दुकान मिलती है
घर को चलाने में मजबूरियां मजबूर कर देती हैं
सबके पाप को अपने जिस्म में पनाह देती है
वह अपने मयखाने को समन्दर सा सजाती बिछा देती है
पैसा के खातिर ही तवायफ सी ज़िंदगी जीती है
ओ हर रोज सबको अपना बना लेती है
खुद को भूख मिटाने के लिए दूसरों की प्यास बुझती है
न जाने कितने लोग उनके इश्क में डूब जाते है
ओ रोज बिकती और हर रोज खरीदी जाती है
उनके काजल, दुख, दर्द को मेरी गजलों ने छुपाया है
आज “विवेक” ने इस ज़िंदगी को तवायफ बताया है-
घर में वह फरिश्ता बन कर आई है
छोटी बहना के आगे मेरी कलाई है
लड्डू और चन्दन वह धूप लाई है
राखी वह थाली में ही छुपाई है
मेरी और उसकी जादू सी लड़ाई है
मेरे हाथों के लिए वह रखी लाई है
मुझे यह सोच कर रोना आ जाता है
एक दिन उ सकी जब बिदाई हैं
पापा मम्मी वह मेरी दुलारी हैं
मेरी कलाई वह राखी से सजाई हैं-
दिल में कोई महबूब नही दो– चार दोस्त बसे है
आज और कल , सुकून के जज्बात वही है
प्यार , मोहब्ब्त , इश्क सब उनमें ही मिले है
लड़ाई , झगड़े और मस्तियों से हम पले बड़े हैं
मेरे दिल –ए –हाल को वह अपने पास रखता है
अपने दिल ए हाल बताने में बड़ी मशक्कत करता है
मेरे हर दर्द को बिन कहे वह अपना बना लेता है
सुबह उठते ही msg में i love u बोल देता है
“विवेक” तेरी दोस्ती ,डायरी और कहानीकार –सी है
कभी न टूटने देना इसे ए ठंड और आफताब सी है-
आग लगी थी मेरे घर में सब कुछ जल गया
मैं बच गया हूं समझो सब कुछ अब बच गया
जिंदगी मुझे तोड़ने का तेरा आलाम क्या हुआ
फैली ख़बर की उसका सब कुछ बिखर गया
उसकी यादों के सहारे ये वक्त गुजरता रह गया
मैं तो वही रहा पर मेरा ठिकाना गुजर गया
अफ़सोस, हो गयी मुझको दिल की बीमारी,
ईलाज –ए –दौर में दवाखाना गुजर गया
आज और कल में जैसे कोई पुराना गुजर गया
आए कोई तो कहना “विवेक” दीवाना गुजर गया-
गजलें लिख लिखकर दिल को बहलाता हूं
चांद के तलाश में बिन बताएं गुम हो जाता हूं
बड़े अर्जे से रखा है अपने दिल को छुपाकर
मैं इश्क से बचकर नजर बन्द हो जाता हूं-
इस हालात और दिल पर सफर यू ही तय कर दिया
मेरे जज्बात और मेरे दिल को बड़ा सुकुन मिला
अभी जिंदगी में और कुछ कर दिखाना है
उम्र के साथ साथ लड़ते लड़ते मार जाना है
बस एक ही कमी महसूस हो जाती है
कोई महबूब नही जिससे मेरी बात होती है
बड़े अर्जे से मैने अपने दिल को बचा रखा है
मैं धावक हूं मैने कोई बंदी नहीं फसा रखा है-
ए – दिल अभी मोहब्बत के जांजाल में है
कोई तो मिल जाए जिसके ख्याल में हैं
बड़ी शिद्दत से संभाला हूं दिल को अपने
लूटेरे तो यहां पैसों के बाजार में हैं
उम्र के अरसे में मेरी कोई एक जान हैं
अभी तक न कोई ताल्लुकात न पहचान हैं
मोहब्बत के ख्वाह में दिल बहुत बेताब हैं
तुम्हारी है जरुरत ये दिल बहुत पाख हैं
तेरे दिल की तासीर में मोहब्बत कौन हैं
विवेक की गजलें और ये डायरी सी मौन हैं-
मेरा मकान भी बारिश में ढह जाएगा
क्या कोई मेरे दिल को बचाने आएगा
कोई करता ही नही मोहब्बत मुझसे
क्या मेरा हाथ थामने कोई यार आएगा
मैं खिताब लिए ढूंढू उसे दर –बदर
जवाने भर में कोई तो नजर आएगा
एक बीमारी हैं दिल को लग गई
मरहम लगाने पर दर्द और आएगा
‘विवेक’ तू न हो इस क़दर मायूस
कोई दिल लगाने वाला जरूर आएगा-
कुछ तराने लिख –लिख कर दिल को समझता हूं
मोहब्बत के बारे में खुद के ही दिल से लड़ जाता हूं
एक चांद को ढूंढते– ढूंढते मैं थक सा गया हूं
सूरज सा जलता और मैं मोम सा पिघल गया हूं
हर लफ्जों में उनको मैं ही झूठा नज़र आता हूं
मैं दिल को पढ़ने में मायर शायर नजर आता हूं
मैं हर दफा दिल को समझता ही समझता फिरता हूं
इसको समझ नही आता मैं इसे कुछ नहीं कहता हूं
गजलों से ही मैं अपनी कहानी कहता चलता हूं
‘विवेक’ रहने दे अब अकेला मैं तेरा दिल कहता हूं-