I'm too old school for this era of social media. I still prefer simple handwritten letters over long whatsapp texts! -
I'm too old school for this era of social media. I still prefer simple handwritten letters over long whatsapp texts!
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दिल्लगी से इश्क़ तक के सफर में, कहीं बावर का ठिकाना है;आरज़ी से मुस्तक़िल के बीच का बस यही फासला हैं! -
दिल्लगी से इश्क़ तक के सफर में, कहीं बावर का ठिकाना है;आरज़ी से मुस्तक़िल के बीच का बस यही फासला हैं!
कभी गौर से देखिएगा जनाब, ये ज़माना तनहाइयों का मेला हैं। हर चेहरे पर मुस्कान का नक़ाब हैं, हर आदमी यहाँ तनहा हैं। -
कभी गौर से देखिएगा जनाब, ये ज़माना तनहाइयों का मेला हैं। हर चेहरे पर मुस्कान का नक़ाब हैं, हर आदमी यहाँ तनहा हैं।
किसी से तो की होगी अहद-ए-वफ़ा तूनेयूँ वफ़ा का बाज़ार नहीं होता;कहीं तो किया होगा समझौता तूने, ऐ दिल,वरना यूँ इश्क़ दोबारा नहीं होता! -
किसी से तो की होगी अहद-ए-वफ़ा तूनेयूँ वफ़ा का बाज़ार नहीं होता;कहीं तो किया होगा समझौता तूने, ऐ दिल,वरना यूँ इश्क़ दोबारा नहीं होता!
इस ईद तो ऐ ज़ालिम हमें गले से लगा लें, चल, तोहफा-ए-मोहब्बत ना सही, रस्म-ए-ईद ही निभालें! -
इस ईद तो ऐ ज़ालिम हमें गले से लगा लें, चल, तोहफा-ए-मोहब्बत ना सही, रस्म-ए-ईद ही निभालें!
बड़ी हिफाज़त सें संजोग कर रखा था कुछ ख्वाहिशों को, दिल के दामन में हुजूर, ज़िंदगी ने जिम्मेदारीयों की किश्तों पर सब निलाम कर दिया! -
बड़ी हिफाज़त सें संजोग कर रखा था कुछ ख्वाहिशों को, दिल के दामन में हुजूर, ज़िंदगी ने जिम्मेदारीयों की किश्तों पर सब निलाम कर दिया!
अभी तो महज मेरी एक नज़्म मे पाया हैं तुने ख़ुद को जानम.. मेरी सफीना में सफर तेरा अब भी बाकी हैं! -
अभी तो महज मेरी एक नज़्म मे पाया हैं तुने ख़ुद को जानम.. मेरी सफीना में सफर तेरा अब भी बाकी हैं!
कितना खुबसूरत ख़्वाब था.. शब-ऐ-वस्ल थी और तू मेरे करीब था! -
कितना खुबसूरत ख़्वाब था.. शब-ऐ-वस्ल थी और तू मेरे करीब था!