हर हर्फ़ की लिखूँ किताब या ग्रंथ कोई
ऐ जिंदगी तेरे किस्से कुछ समझ नहीं आते...
कितने अरमान है मेरे जिन्हें जी सकूँ
क्यों मेरे ख्वाब ही मेरे समझ नहीं आते...
काँटे बिछाये है तुमने हर पथ पर मेरे
तेरे ये शगूफे जिंदगी समझ नहीं आते...
यूं तो हर इम्तिहान में अव्वल था 'हसरत'
जाने क्यों अब तेरे सवाल समझ नहीं आते...
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