कमबख्त दील ही तो है
कल किसी और पे आजाएगा.-
कभी किसीको मत रुलाओ
साथ में खुशीसे जिंगदी बिताओ,
हाल ही में दिल लगाना गुनाह होगया है
प्यार तो मन करता है पर भुगतना -
(उसके शरीर मान प्रतिष्ठा और फैमिली के साथ)
सारी जिंदगी उस इंसान को पड़ता है,
इसीलिए-कभी किसीको इतना मत रुलाओ
के इन्सान का प्यार से भरोसा ही उठ जाए,
और उन आसुओ से
दिल में प्यार - नाम पूरी तरह धुल जाए..-
ना तुम ये शादी करती
ना हम कही और दिल लगाते,
तुझसे शादी करते तो उम्रभर निभाते..
पर क्या कभी ये सोचा तुमने
तुम्हें हमारा जहां मान लिया था हमने,
पर तूनेमेरे बिना अपना घर बसा भी लिया..
और हम पागल तुम्हारे इंतजार में
किसी औरका घर बसाना तो दुर,
खुदको भी- ना संभाल पाया..-
जख्म पे नमक मत छिड़क,
अरे ऐसे बोहोत मिलेंग,
जो दुःखमें हसके खुशीमें जलेंगे,
हमने तुम्हें पलकों पे रखा,
अपनों का दर्जा दिया,
पर तुमने ये क्या किया,
कंबख्त प्यार के नाम से,
झूठ का दावा किया,
और शादी किसी और से करके,
प्यारके तीर कही और मारते गए,
ये बड़ी नादान भुल है तुम्हारेे लिए,
पर भगवान भी देख रहा है,
कितनों की बद्दुआए है तुम्हारे लिये..-
आत्मनिर्भर ।
सेल्फ डिपेंडेंट तो हम थे ही, पर सच कहा है किसी ने-
ख़ुद को लुटा कर प्यार करने वाला, दूसरों को अपना नही बना सकता
क्यू की वो खुदका तो कभी था ही नही..
जिसने उसे पहले खुद की आदतें लगाई, और बादमे ये कहके छोड़ दिया -
के तुम आजकल मुझसे हर छोटी छोटी बात पूछती हो,
तो बताए साला ये प्यार करे या आत्मनिर्भर बने..
I think प्यार is an opposite word of आत्मनिर्भर..
I choose to - be
Self- Entertained
Self- Happiness
Self- Caring
Self- Loving
Self- Sacrificing
& Self - Dependent
So, no more Love ❌
Only *Atmanirbhar* 💪
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काश ऐसा होता,
की तुम्हारे दिल से मेरा प्यार कभी कम ना होता,
मै जब चाहूं तब मेरे सामने होते,
तुम्हे - बाहर कही मिलने से डर ना होता,
कैसा ये प्यार है तुम्हारा,और पता नही क्या रिश्ता है हमारा,
ना अपना सकते हो, ना छोड़ना चाहते हो,
पर कैसे समझाऊं मेरे दिल का दर्द तुम्हें,
तुम वहा जितना किसी और की बाहों में सोते हो,
उतना यहा मेरेे दिल से जान निकालते हो,
शायद तुम्हें अंदाजा नहीं इस बात का,
की ये खेल बडा खतरनाक है जनाब,
किसिके दिल से खेलना और उसिसे बेशुमार प्यार करना,
ये दोनो चीजे कभी एक के साथ नही हो सकती.-
किसीके दिल से इतना मत खेलो,
की वो इंसान खुल के हसना ही भूल जाए,,
किसिकी चाहत रखना बूरी बात नही ,
पर एकबार मोहब्बत कीइ-
तो उसे पुरि तरह निभाने की चाह रखो,,
आज इस्से कल उस्से- ये प्यार नहीं है,
घर में एक और बाहर एक-
ये कोई अच्छा धर्म और अच्छा कर्म नही है,,
माना कि कृष्णा की पत्नी ना होके भी,
प्रेयसी तो राधा ही थी,,
बाकियों का पता नही- पर जो भी होता है,
दिलसे-प्यार तो एक ही बार सच्चा होता है..-
अब उतना दर्द नही होता,जितना पहले हुआ करता था..
अब आदत सा होगया है,तुम्हारा यू आना जाना..
पहले जब तुम रूठ जाते थे,हम तुम्हे मना ही लेते थे..
पर इसबार अगर ,तुम वापस आना ही नही चाहते..
तो चाहे हम लाख़ कोशिश करले तुम्हे
मनाने की.. कुछ फायदा नही
क्युकी अब हमे आदत होगई है,ऐसे अकेले ही जीने की....
(शायद तुमने ठान ली है मेरी जान लेने की)-
कही खोगाए थे हम,
आज मेरी जान में जान आई है,
अरसो बाद उनकी आवाज जो सुनी है..
हा अब दिल खुशी से उछल रहा है, क्युकी
जल्दी ही तुझसे मिलने की घड़ी आयी है..
अब रहा ना जाता तुम्हे बाहोंमे लेके बिना,
पर क्या करें कमबख्त -
ये lockdown की घड़ी बड़ी लंबी चल रही है..-
हमारी याद तो दुर, वफा की भी उम्मीद नहीं..
आज ईद होके भी हमारा चांद आज निकला नहीं ....-